अस्पताल के लिए निकले थे शम्मी कपूर और कहा आई एम नॉट कमिंग बैक
अस्पताल के लिए निकले थे शम्मी कपूर और कहा आई एम नॉट कमिंग बैक, बॉलीवुड को पहला बिंदास हीरो शम्मी कपूर के रूप में ही मिला था। उनके बाद कई हीरोज ने उन्हें कॉपी करने की कोशिश की, कुछ कामयाब भी हुए। लेकिन यही याहू हीरो बाद में इतना ज्यादा धार्मिक हो गया था कि घर से बाहर कभी हनुमान चालीसा पढ़े बिना कदम बाहर नहीं निकालता था। एक दिन ऐसा भी आया जब उन्होंने हनुमान चालीसा नहीं पढ़ा और फिर वो बिंदास हीरो कभी घर वापस नहीं लौटा, लौटी भी तो उसकी लाश।
एक दौर में उनका नाम कई ल़डकियों के साथ जोड़ा गया, लेकिन गीता बाली ने उनकी जिंदगी बदल दी। इतनी कम उम्र में चेचक से गीता के गुजरने के बाद से ही शम्मी में बदलाव आना शुरू हो गया था। फिर पिता और राजकपूर की मौत से भी उन पर असर पड़ा। ये बदलाव दो तरह का था, एक ही दिन में सौ सौ सिगरेट फूंकने लगे थे शम्मी। दूसरी तरफ उनका धार्मिक झुकाव भी बढ़ता गया। उत्तराखंड में उनके एक युवा हैदाखान वाले बाबाजी गुरु बन गए थे, आखिरी वक्त तक वो उनके पास जाते रहे।
बच्चों के चलते उन्हें दूसरी शादी भी करनी पड़ी। नीला देवी ने अपना कोई बच्चा भी पैदा नहीं किया, गीता के बच्चों की ही वो मां बन गई। लेकिन शम्मी के सिगरेट को शौक ने उनके फेंफडों को जला दिया। लेकिन शम्मी कपूर वक्त के साथ बदल गए, दाढ़ी बढ़ा ली, अक्सर अपने गुरू से मिलने अक्सर हिमालय चले जाते।
फिर शम्मी कपूर किडनी फेल हो गई और खांसी से खून आने लगा। दो महीने तक बाद अस्पताल से आने के बाद उनके घर में ही एक वैल इक्विप्ड अस्पताल रूम बना दिया गया, चौबीस घंटे नर्स और फिजियोथेरेपिस्ट के साथ। ब्रीच कैंडी अस्पताल में गुजारने के बाद बदल गई शम्मी कपूर की लाइफ पूरी बदल गई, हफ्ते में तीन दिन डायलेसिस और चार दिन दोस्तों बच्चों के साथ बिताना। जब भी बाहर निकलना, पहले हनुमान चालीसा का पाठ करना।
11 अगस्त 2011 को उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। वो पांज बजे नहाए और 6.30 बजे अस्पताल जाने को तैयार थे। तब उनकी पत्नी नीला ने उनसे कहा पीछे मुडकर देखिए, हमारे यहां इसे अच्छा माना जाता है। लेकिन वो नहीं मुड़े, कहा—आई एम नॉट कमिंग बैक। शम्मी कपूर पूरे सात दिन ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल के आईसीयू में एडमिट थे।
राजकपूर की पत्नी और उनकी भाभी कृष्णा कपूर ने कहा, आपसे पहले मेरा नंबर है तो शम्मी का जवाब था- “नहीं भाभीजी।। मुझे जाने दीजिए। पापाजी की बहुत याद आ रही है” , गीता के गुजरने के बाद शम्मी के साथ चालीस साल गुजारने वाली पत्नी नीला से उन्होंने 13 अगस्त को कहा— “नीला प्लीज मुझे इस बार मत रोको, मैं तो बहुत पहले ही जाना चाहता था, लेकिन तुम मुझे रोक लेती थीं। मैं जाना चाहता हूं”।
14 अगस्त 2011, रविवार का दिन, वक्त था सुबह के सवा पांच बचे, शम्मी कपूर ने आखिरी सांस ली। उनका अंतिम संस्कार मालाबार हिल के उसी वाणगंगा मंदिरों के क्रीमेशन ग्राउंड में किया गया, जहां उनकी पहली पत्नी गीता बाली का हुआ था।
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