गुलज़ार क्यों करते हैं सफेद रंग से इश्क, जानेंगे तो चौंक जाएंगे!
गुलज़ार को आपने हमेशा सफेद रंग के कपड़े में ही देखा होगा। गुलजार की शायरी के कई रंग हैं, लेकिन वो खुद सिर्फ एक रंग में दिखते हैं- सफेद। मगर सिर्फ सफेद क्यों? जब एक बार एक पत्रकार ने उनसे ये सवाल किया था, तो उन्होंने बिना पलक झपकाए जवाब दिया था- अच्छा लगता है। सीधी सी बात का ये सीधा सा जवाब ही इस रंग की कहानी के पीछे काफी नहीं था, तो फिर बात आगे भी चली।
गुलजार साहब ने बताया- मैं सफेद रंग कॉलेज के दिनों से पहन रहा हूं। मुझे रंग पसंद हैं, लेकिन अब मैं रंग-बिरंगे कपड़े पहनूंगा, तो ऐसा लगेगा, जैसे मैं झूठा हूं। अपने बारे में ऐसा महसूस करवाना मेरे लिए जीवन की सबसे बुरी चीज होगी। मैं वैसा ही दिखाना चाहता हूं, जैसा मैं हूं। मैं ऐसा ही हूं- सफेद।
ये बात अलग है कि सफेद रंग को पसंद करने वाले शायर और लेखक गुलजार ने कई ऐसी फिल्में दी हैं जिनमें ज़िंदगी के अलहदा रंग दिखाई देते हैं। खैर ये तो बात हुई सफेद रंग की लेकिन इस सफेद रंग के अलावा एक और चीज है जो गुलजार साहब के बारे में प्रसिद्ध है।
सफेद रंग के अलावा गुलज़ार साहब के बारे में ये भी कहा जाता है कि वो सिर्फ कुर्ता-पाजामा पहनते हैं। इस पर भी गुलज़ार साहब ने साफ किया था कि वो कुर्जा पाजामा नहीं पहनते बल्कि सफेद रंग का ट्राउजर पहनते हैं, जिसमें फ्रंट क्रीज होती है।
पहले वो धोती पहना करते थे। अब भी घर पर इतवार के दिन सलवार पहनते हैं। उन्होंने बताया था कि उनके होमटाउन दीना में सलवार पहनने का ही रिवाज था। गुलजार साहब की मानें, तो उर्दू शायर होने के नाते लोग ऐसा सोचते हैं कि वो कुर्ता पाजामा पहनते हैं, लेकिन ऐसा है नहीं।
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