अंजुम फकीह ने एक्ट्रेस बनने के लिए उतार फेंका बुर्का
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अंजुम फकीह (Anjum Fakih) ऐसी अभिनेत्रियां धर्म को अपने करियर के आगे नहीं रखती। जी हां, जहां एक तरफ जायरा वसीम जैसी अभिनेत्रियां हैं, तो दूसरी तरफ अंजुम फकीह जैसी भी अभिनेत्रियां हैं, जो अपने सपनों के बीच किसी भी दीवार को नहीं आने देती हैं।
अंजुम फकीह (Anjum Fakih) ने अपने सपनों को पूरा करने के लिए धर्म की दीवार को तोड़ दिया। इतना ही नहीं, उन्होंने खुद इस बात का खुलासा किया और उन्हें इस पर गर्व होता है।
टेलीविजन की दुनिया में अंजुम फकीह (Anjum Fakih) का एक बड़ा नाम है। इन्होंने अभी तक कई सीरियल में काम किया है, लेकिन इनकी पहचान कुंडली भाग्य से ही होती है।
अंजुम फकीह की किस्मत चमकी कुंडली भाग्य से
इन्हें लोग कुंडली भाग्य की एक्ट्रेस के रुप में ही जानते हैं। ऐसे में हाल ही में इन्होंने अपने करियर और निजी लाइफ को लेकर कई बड़े खुलासे किए, जिससे धर्म के ठेकेदारों को बड़ा झटका लग सकता है। इन्होंने अपने करियर के लिए धर्म को पीछे छोड़ दिया और सीधे भागकर मुंबई गई।
अंजुम फकीह ने हाल ही में एक इंटरव्यू में अपने करियर के स्ट्रगल को बताते हुए कहा कि
अंजुम फकीह बुर्का पहनना कब छोड़ा?
जब मैंने पापा से कहा कि मैं एक्टिंग करना चाहती हूं, तो उन्होंने मुझे घर छोड़ने के लिए कह दिया, जिसके बाद मैंने अपने सपनों की उड़ान भरने के लिए अपना घर छोड़ दिया। इसके बाद मैंने अपना बुर्का भी उतार दिया, ताकि मैं रुढ़िवादी सोच से आजाद हो सकूं।
अंजुम फकीह
मतलब साफ है कि अंजुम फकीह के लिए एक्ट्रेस बनना आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने अपने सपने को टूटने नहीं दिया।
मीडिया से बातचीत में अंजुम फकीह ने बताया कि
अंजुम फकीह रुढिवादी सोच से परेशान थीं
हमारे धर्म में टीवी देखना भी हराम माना जाता था, जिसकी वजह से एक बार पापा टीवी ले आए तो दादाजी नाराज हो गए और उन्होंने घर आना छोड़ दिया। मेरे पापा चाहते थे कि मैं अच्छी पढ़ाई करूं, लेकिन मेरा एक्टिंग करना उन्हें पसंद नहीं आया, ऐसे में उन्होंने मुझे घर से जाने के लिए कह दिया। इसी बात पर मैंने अपना बैग उठाया और मुंबई की तरफ निकल गई। यह आसान नहीं था, लेकिन मैंने अपने दिल की सुनी।
अंजुम फकीह
घर से भागना अंजुम फकीह के लिए आसान नहीं था और उसके बाद उन्हें जो स्ट्रगल करना पड़ा, वो भी किसी से छिपा हुआ नहीं है। बता दें कि करियर के शुरुआती दौर में उन्हें परफ्यूम बेचकर अपना गुजारा करना पड़ता था।
इसके अलावा उन्होंने बताया कि उन दिनों वे ऑडिशन देने के लिए अंधेरी से बांद्रा पैदल जाया करती थी, क्योंकि उनके पास कोई सपोर्ट नहीं था और बड़े शहर में अकेले ही अपने दम पर ज़िंदगी काटनी थी।
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