अमजद खान | अधूरे इश्क की पूरी दास्तान | इस एक्ट्रेस को दिल दे बैठा था गब्बर
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अमजद खान के बारे में माना जाता है कि वे राजनीति से दूर एक सच्चे और सीधे इंसान थे। अपने साथी कलाकारों में उनकी लोकप्रियता का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि वे दूसरी बार सिने आर्टिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष चुने गए थे।
अमजद को निजी ज़िंदगी में जिस तरह ‘शोले’ ने उठाया उसी तरह ‘द ग्रेट गैम्बलर’ ने नीचे भी ला दिया। जब अमजद ख़ान के पास फ़िल्में कम हो गई तो अपने को व्यस्त रखने के लिए उन्होंने फ़िल्म निर्माण का काम शुरू किया लेकिन ये काम भी उन्हें सफलता नहीं दे पाया।
अमजद खान की अधूरी प्रेम कहानी
अमजद ख़ान उस कल्पना अय्यर को प्यार करते थे, जिसने तमाम फ़िल्मों में बेबस-बेगुनाह नायिकाओं पर बेपनाह जुल्म ढाए। भारी डील-डौल वाले गोरे-चिट्टे अमजद खान और दुबली-पतली इकहरे बदन की सांवली कल्पना अय्यर में देखने-सुनने में खासा अंतर था, लेकिन दोनों में एक गुण समान था।
दरअसल, दोनों रुपहले पर्दे पर भोले-भाले निर्दोष पात्रों पर बड़े जुल्म ढाते थे। जिस तरह अमजद खान या तो खलनायक के रोल में फ़िल्मों में आए या फिर कैरेक्टर रोल में, उसी तरह कल्पना अय्यर भी कभी हीरोइन तो नहीं बनीं, लेकिन खलनायिका का रोल उन्होंने भी खूब किया। फ़िल्मों में डांस आइटम भी किए। कुल मिलाकर कल्पना अय्यर ने भी ढेर सारी फ़िल्में कीं।
पहली मुलाकात में ही दिल दे बैठे थे अमजद खान
अमजद खान और कल्पना अय्यर की पहली मुलाकात एक स्टूडियो में हुई थी, जहां दोनों अलग-अलग फ़िल्म की शूटिंग कर रहे थे। फिर ये परिचय प्यार में बदला। कल्पना जानती थीं कि अमजद खान शादीशुदा हैं। उनकी पत्नी हैं और उनके तीन बच्चे भी हैं।
यदि कल्पना अमजद की बीवी बनने के लिए जिद करतीं, तो यह शादी हो भी जाती। लेकिन, दोनों ने जानबूझकर ऐसा नहीं किया, क्योंकि अगर दोनों शादी करते तो अमजद के भरे-पूरे परिवार में तूफान आ जाता। जब तक अमजद ख़ान जीवित रहे, वे कल्पना के दोस्त और गाइड बने रहे।
कहते हैं कि अमजद चाय के बेहद शौकीन थे। दिन भर में पच्चीस-तीस कप, वह भी चीनी के साथ। कल्पना अय्यर ने उनकी इस आदत पर कंट्रोल करने की कोशिश की, लेकिन जब भी वे कहतीं, अमजद हंसी में बात उड़ा देते। जब अमजद का इंतकाल हुआ, तो कल्पना उनके घर गई।
कल्पना के कई शुभचिंतकों ने उनसे वहां न जाने की सलाह भी दी कि पता नहीं अमजद के परिवार वालों का क्या रवैया हो? कहीं वे उन्हें भीतर आने ही न दें, लेकिन कल्पना ने यह सलाह नहीं मानी।
कल्पना जानती थीं कि वे अमजद की ब्याहता नहीं हैं, लेकिन वे वहां शोक मनाने गईं। अपने उस दोस्त को आखिरी सलाम करने गईं, जिसके साथ उनका बेनाम रिश्ता था।
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