अपूर्वा चौधरी | एक्टिंग ही जिसकी ज़िंदगी है
हिरोईन नहीं बल्कि दमदार एक्ट्रेस बनने का सपना
अपूर्वा चौधरी सिर्फ नाम ही अपूर्वा नहीं है। जब आप अर्पूवा से बात करेंगे तो आपको लगेगा कि हां इसमें कुछ बात है जो दूसरी एक्ट्रेस से अलग है। अपूर्वा अपने करियर अपने टारगेट को लेकर एकदम शीशे की तरह साफ है। गॉसिप गंज के एडिटर मधुरेंद्र पाण्डे ने अपूर्वा चौधरी से बात की।
मधुरेंद्र पाण्डे – अपूर्वा पहले तो ये बताइये कि आपकी अभिनय की यात्रा शुरु कैसे हुई।
अपूर्वा चौधरी – एक्टिंग की यात्रा की बात करे तो देखिए मैं थियेटर से हूं। मैंने पुणे में ललित कला केंद्र से ग्रेजुएशन किया। फिर मुंबई यूनिवर्सिटी से थियेटर में ही मास्टर्स किया तो यात्रा तो काफी पहले ही शुरु हो गई। हां थियेटर मेरा आधार है और उससे ही मुझे पहचान मिली है। मैंने ग्रेजुएशन और मास्टर्स मिलाकर कुछ पांच साल सिर्फ थियेटर पढ़ा है। तो मुझे तो अभिनय में ही अपना सबकुछ नज़र आता है।
मधुरेंद्र पाण्डे – जैसे हर किसी का कोई ना कोई सपना होता है। क्या आपका सपना एक्टिंग ही था।
अपूर्वा चौधरी – अभिनय मेरा सपना और मेरा सबकुछ है। अभिनय मेरा सपना तो था। देखिए मैं एक ऐसी लड़की थी जिसे बहुत करना था। जैसे मैं बहुत कोई पढ़ाकू टाइप की नहीं थी। एवरेज स्टूडेंट कह सकते हैं लेकिन बचपन में मेरा इंस्ट्रेस्ट खेल में था।
खो खो, कबड्डी, चेस, मार्शल आर्ट सबकुछ करती थी। क्लासरूम से अधिक मैं ग्राउंड में मिलती थी। मैं अपनी क्लास की पहली लड़की थी जो ब्लैक बेल्ट थी। डांस भी करती थी लेकिन कभी सोचा ही नहीं कि डांस को करियर बनाया जा सकता है।
मधुरेंद्र पाण्डे – खेलों से फिर अभिनय की ओर कैसे आपका रूझान हो गया। कोई ऐसा वाकया जो आप बताना चाहें।
अपूर्वा चौधरी – देखिए जब मैं 10+2 में आ गई तब तक मुझे पता चल चुका था कि मुझे एक्टिंग में ही करियर बनाना है। मैंने घर पर मम्मी पापा को बताया। मम्मी-पापा को ये सब पसंद नहीं था। मुझे एक साल तो उन्हें मनाने में लग गए कि एक्टिंग एक बेहतर करियर है। दरअसल ग्लैमर फील्ड में गॉसिपिंग बहुत होती है और मेरी फैमिली के लोंगो का डर भी यही था।
मतलब मैंने तो यहां तक सोच लिया था कि कैसे लोन लेकर आगे एक्टिंग की पढ़ाई करनी है (हंसते हुए)। खैर जब मुझे पहले प्ले के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का अवार्ड मिला तब उसके बाद परिवार के लोगों का सपोर्ट मेरे लिए काफी बढ़ गया और उन्हें लगा कि हां मैं एक्टिंग में बहुत कुछ कर सकती हूं।
मधुरेंद्र पाण्डे – अब आपके परिवार के लोगों को लगता है कि आपने एक्टिंग को करियर बना कर अच्छा किया।
अपूर्वा चौधरी – हां लगता है उन्हें। मजेदार बात बताउं कि मेरी मां भले ही मेरे एक्टिंग को लेकर मेरे सपोर्ट में ना रही हों लेकिन पापा चोरी छिपे मेरा सपोर्ट करते थे। हम चार बहनें और पापा ने कभी हमें ये महसूस नहीं होने दिया कि हम लड़कियां हैं। उनकी वजह से ही मैंने मार्शल आर्ट में ब्लैक बेल्ट हासिल किया। मुंबई में पांच साल हो गए हैं। परिवार का पूरा सपोर्ट है और मुझे अब ज्यादा अच्छा लगता है।
मधुरेंद्र पाण्डे – आप थियेटर में जब ग्रेजुएशन कर रही थीं। तब आपको कैसा लगता है कि मानो आपको आपका सपना मिल गया।
अपूर्वा चौधरी – हां, कह सकते हैं। एक्टिंग का तो इतना जुनून रहता था कि पूछिए मत, मुझे कल्चरल मिनिस्ट्री से स्कॉलरशिप भी मिलती थी। एक्टिंग का ऐसा चस्का था कि कोर्स के दौरान भी ऑफर आते थे तो मन करता था कि चल एक्सेप्ट कर लेते हैं। लेकिन मजबूरी थी कि पढ़ाई के दौरान हम बाहर के प्ले कर नहीं सकते थे।
पढ़ाई के दौरान दिल्ली, कालाघोड़ा हर जगह परफॉर्म किया और सबसे बड़ी बात कि लोगों का सपना होता है कि उनका कोई प्ले पृथ्वी थियेटर में हो। मुंबई में मेरा पहला प्ले पृथ्वी थियेटर से ही शुरु हुआ।
पढ़ाई के दौरान एक बार मैं गोवा प्ले के सिलसिले में चली गई थी तो लोगों ने मुझसे कहा कि मत करो नहीं तो कॉलेज में दिक्कत हो जाएगी, मेमो मिल जाएगा और मैं वापस आ गई। कुल मिलाकर मैं एक्टिंग में ही मेरा सबकुछ था।
मधुरेंद्र पाण्डे – पढ़ाई पूरी करने के बाद जब आप इंडस्ट्री में आईं तो कैसी शुरुआत हुई।
अपूर्वा चौधरी – एक्जाम खत्म होने के दूसरे हफ्ते ही मुझे एक मराठी फिल्म मिल गई थी। शूटिंग भी शुरु हो गई लेकिन अभी तक वो फिल्म रिलीज़ नहीं हुई है। देखना है कि कब रिलीज़ होती है। इसके अलावा संजय जाधव जी के साथ दुहेरी सीरियल में काम किया है। ये डेली सोप था।
प्रियदर्शन जी के साथ काफी कॉमर्शियल प्ले किए हैं। क्राइम पेट्रोल भी करती हूं। इसके अलावा जी युवा पर शौर्य सीरियल आता था उसमें मैंने पीएसआई का किरदार निभाया है।
मधुरेंद्र पाण्डे – आप सीरियल्स और थियेटर पर ज्यादा फोकस कर रही हैं। क्या मैं सही हूं।
अपूर्वा चौधरी – नहीं ऐसा नहीं है। मेरी एक हिन्दी की आर्ट फिल्म है, अवसर नाम है उसका। मोहित गोस्वामी जी उसके डायरेक्टर हैं। ये तीन लड़कों और एक लड़की कहानी है। इसके अलावा रिस्पेक्ट मूवी है उसमें काम किया है।
रिस्पेक्ट में मैंने एक रिपोर्टर का किरदार निभाया है। इस फिल्म में पांच कहानियां हैं जिसमें मैं एक सूत्रधार की भूमिका में हूं। इसके अलावा मराठी फिल्म है जीवति, इसमें मेरा नेगेटिव किरदार है।
मधुरेंद्र पाण्डे – मतलब आप सीरियल, फिल्म, शॉर्ट मूवी, थियेटर हर माध्यम में काम कर रही हैं।
अपूर्वा चौधरी – देखिए मुझे काम करना है। एक्टिंग करनी है। माध्यम और भाषा कोई भी हो मुझे परहेज नहीं है। एक्टिंग मेरा जुनून है। ऐसा भी नहीं है कि मुझे हिरोईन बनना है। मुझे एक बेहतर एक्ट्रेस बनना है। अच्छे और बेहतर किरदार निभाने हैं।
चाहे वो फिल्म हो या फिर वेब सीरिज। आप खुद देखिए राधिका आप्टे, सीमा विश्वास ये सब क्या हैं। दमदार एक्ट्रेस हैं। बस मुझे वही बनना है। वही मुकाम हासिल करना है।
मधुरेंद्र पाण्डे – आप जब इतना कुछ कर रही हैं तो थियेटर के लिए वक्त निकाल पाएंगी।
अपूर्वा चौधरी – थियेटर तो मुझे ज़िंदगी भर करना है। वो आपको यथार्थ की ज़मीन पर रखता है। खुद को जानने के लिए थियेटर ही बेहतर माध्यम है। यहा सब कुछ लाइव है। रिस्पॉन्स भी एनर्जी भी। मेरे दिमाग सब कुछ क्लियर है। मुझे आर्ट सिनेमा करना है तो कॉमर्शियल भी। थियेटर तो छोड़ने का सवाल ही नहीं है। इस मामले में मेरी आइडियल प्रियंका चोपड़ा है।
जो देखिए कितने सारे काम एक साथ कर लेती हैं। प्रोडक्शन से लेकर टीवी और सिनेमा तक, सबकुछ। मेरा मानना है कि सीखते रहिए और आगे बढ़ते रहिए। अब मैंने मुक्ता बार्वे जी के साथ सखा राम बाइंडर प्ले में काम किया है। मैं बैक स्टेज का काम देखती थी और मेरे काम करने की शर्त सिर्फ इतनी थी कि मुझे आपसे कुछ सीखना है। पैसा ही सबकुछ नहीं होता। अभी ऑर्गन डोनेशन पर भी फिल्म बनाई है। बस यूं समझिए कि मुझे बहुत कुछ करना है और लगातार सीखते रहना है।
मधुरेंद्र पाण्डे – एक बात तो है जो शख्स अपने ड्रीम को लेकर इतना क्लियर हो उसके लिए तो भगवान को भी रास्ता देना पड़ता है। आपसे बात करके बहुत अच्छा लगा।
अपूर्वा चौधरी – मुझे भी।
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