क़तील शिफ़ाई | दर्द को मुहब्बत की ज़ुबान देने वाला शायर
क़तील शिफ़ाई ने स्वीकार किया कि पकिस्तान में कठमुल्लापन हावी है। वहाँ इस्लाम के नाम का इस्तेमाल करके ज़िया उल हक़ साहब मुल्लाओं को अवाम के सिर पर तलवार की तरह
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क़तील शिफ़ाई ने स्वीकार किया कि पकिस्तान में कठमुल्लापन हावी है। वहाँ इस्लाम के नाम का इस्तेमाल करके ज़िया उल हक़ साहब मुल्लाओं को अवाम के सिर पर तलवार की तरह
बॉलीवुड में फ़िल्म बनी थी ख़तरा। अंग्रेज़ी में पोस्टर KHATRA बना। उसे लोग खट्रा पढ़ने लगे। स्पेलिंग दुरुस्त करके पोस्टर KHATARA किया। लोग उसे खटारा पढ़ने लगे।
गीतकार शैलेंद्र ने जन भावनाओं के इज़हार के लिए जन भाषा में गीत लिखे। रोचक और दिलकश तरीक़े से बात कहने की कला शैलेंद्र के गीतों की ताक़त है। अगर कोई बात मुहावरे
ऐ मेरे वतन के लोगों सुन कर पं नेहरु जी ख़ुद पर क़ाबू न रख सके। आंखों से आंसू बहने लगे। इस युद्ध में हमारे ढेर सारे निर्दोष जवान मारे गए थे। इसके लिए पं नेहरू ख़ुद को गिल्टी महसूस कर रहे थे।
जावेद अख़्तर को कौन नहीं जानता। हर कोई उनकी गज़लों और गीतों का प्रशंसक है। देवमणि पाण्डेय जी उनके साथ अपनी एक खूबसूरत संस्मरण प्रस्तुत किया है।
आनंद बख़्शी बॉलीवुड में ऐसे गीतकार के तौर पर जाने जाते हैं। जिन्होंने आम लोगों की बोलचाल की भाषा में ही सिनेमा को बेहतरीन गीत दिए। जिन्हें हर पीढ़ी गुनगुनाती