बाल ठाकरे, किसके किसके गॉड फादर थे, सन्न रह जाएंगे आप
बाल ठाकरे, किसके किसके थे गॉड फादर , बाल ठाकरे जिसकी एक आवाज पर पूरी मुंबई हिल जाती थी। बतौर कार्टूनिस्ट अपने करियर शुरू करने वाले बाल ठाकरे अपनी लगन और मेहनत से मुंबई के किंग बन गए। वो शख्स जो राजनीति के खिलाड़ी तो थे ही साथ ही बॉलीवुड पर भी उनका दबदबा था।
मुंबई में रहने वाला हर बड़ा शख्स मातोश्री में जरूर पहुंचता था, बॉलीवुड के कई सितारे भी बाला साहेब को अपना गॉड फॉदर मानते थे। कई फिल्मी सितारों की बाल ठाकरे से घनिष्टता थी। तीन दशक में फिल्म इंडस्ट्री में उनके नाम का सिक्का जम कर चला। दिलीप कुमार से लेकर शाहरुख खान तक, अपने वक्त का हर सुपरस्टार बाला साहेब का मुरीद रहा है।
बाला साहेब ने फिल्मी सितारों की बुरे वक्त में मदद भी की तो कभी शिवसेना स्टाइल में उनका विरोध भी। बॉलीवुड और मातोश्री के बीच एक अनोखा कनेक्शन था। बॉलीवुड वालों के संकट के समय बाल ठाकरे हर बार चट्टान की तरह खड़े हुए मदद की और बता दिया कि वो रील पर हिरोगिरी दिखाने वालों के रियल हीरो हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि फिल्म सरकार में अमिताभ बच्चन का किया किरदार बल ठाकरे के असली जिंदगी के काफी मेल खाता है।
लोग कहते हैं कि बाल ठाकरे खुद एक कलाकार थे इसलिए वो कलाकारों की मुसीबतों के महसूस कर सकते थे। दिलीप कुमार से ले लेकर अमिताभ बच्चन तक और सलमान खान से लेकर शाहरुख खान तक बाला साहेब ने संकट के समय हर किसी की मदद दी। जिस किसी की बात बुरी लगी उसका अपनी यानी शिवसेना स्टाइल में विरोध भी किया और जिसके साथ खड़े हुए उस पर आंच भी नहीं आने दी।
जब सुनील दत्त अपने बेटे के लिए इंसाफ की तलाश में दर-दर भटक रहे थे तब उन्होंने एक पिता की पीड़ा को समझा।’ मुंबई धमाकों में आरोपों से घिरे दत्त परिवार के लिए भी ठाकरे साहब ने बहुत कुछ किया।
बेटे संजय दत्त पर लगे टाडा एक्ट से उस वक्त सुनील दत्त काफी परेशान थे। और कहा जाता है कि शिवसैनिकों के विरोध प्रदर्शन से संजय दत्त को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। खलनायक के रिलीज को लेकर भी काफी हंगामा हो रहा था, आखिरकार सुनील दत्त बाल ठाकरे से मिले और ठाकरे साहेब ने उन्हें आश्वासन दिया कि वो उनकी पूरी मदद करेंगे।
और शिवसैनिकों के आक्रोश के विपरीत बाला साहेब ने संजय दत्त और उनकी फिल्म के खिलाफ विरोध प्रदर्शन बंद करने का निर्देश दिया था।
अमिताभ से भी बाल ठाकरे की अच्छी बनती थी। जब बोफोर्स के छीटें अमिताभ के दामन पर पड़े तब भी बाला साहेब ने अमिताभ को हिम्मत दी थी। कहते हैं जब भी बॉलीवुड में किसी स्टार के करियर के ऊपर मुसीबत के काले बादल मंडराते थे तो मातोश्री का रुख करने में इन सितारों को कोई हिचक नहीं होती थी।
जब अस्सी के दशक में फिल्म ‘कुली’ की शूटिंग के दौरान बच्चन जख्मी हुए थे और जिंदगी और मौत से जूझ रहे थे, तब महाराष्ट्र के इसी टाइगर ने उनकी सेहत के लिए कामना की थी, उन्हें यमराज पर विजय प्राप्त करने वाला एक कार्टून भेंट किया था।
कहते हैं कि दिलीप साहब के साथ बाल ठाकरे के रिश्ते काफी अच्छे थे। दिलीप साहब उस वक्त इंडस्ट्री के बड़े नाम थे और बाल ठाकरे तेजी से उभरते राजनेता। मुंबई में बाला साहब की पैठ काफी अच्छी बन चुकी थी और वो अक्सर बॉलीवुड से जुड़े विवादों को भी सुलझाते थे। कहते हैं कि उस वक्त बाला साहब के निर्देश पर मुंबई में दक्षिण भारतीय फिल्मों के प्रदर्शन पर जमकर हंगामा मचता था।
यहां तक कि दक्षिण भारतीय निर्देशक अगर हिंदी फिल्म भी बनाते थे तो उन्हें मुंबई में रिलीज नहीं करने दिया जाता था। दिलीप साहब की फिल्म राम और श्याम के प्रोड्यूसर और निर्देशक भी दक्षिण भारतीय थे, इसलिए उनके फिल्म के रिलीज पर भी धरना प्रदर्शन होने लगा।
आखिरकार दिलीप साहब बाला साहेब से मिलने गए और फिर मामला सुलझा, फिल्म को रिलीज करने दिया गया। दोनों की दोस्ती वक्त के साथ गहरी होती गई। लेकिन साल 1998 में जब बाला साहब ने ये मांग की कि दिलीप कुमार को पाकिस्तान सरकार के दिए निशान-ए- इम्तियाज पुरस्कार को लौटा देना चाहिए तो दोनों के रिश्तों में खटास आ गई।
वहीं शाहरुख खान से भी बाला साहब के निजी रिश्ते काफी अच्छे थे। लेकिन आईपीएल में पाकिस्तानी खिलाड़ियों के खेलने की वकालत की तो शिव सैनिकों का गुस्सा शाहरुख पर फूट पडा़। उनकी फिल्म ‘माई नेम इज खान’ की रिलीज रोकने की पुरजोर कोशिश की गई।
मुंबई समेत कई शहरों में सिनेमाघऱों में तोड़फोड़ की गई। लेकिन शाहरुख खान ने घुटने नहीं टेके। वो अपनी बात पर अड़े रहे और मुंबई में कड़ी सुरक्षा के बीच अपनी फिल्म रिलीज की।
ठाकरे साहब के करीबियों की मानें तो सलमान खान की भी काफी मदद की थी बाला साहब ने। दरअसल सलमान के पिता सलीम खान हमेशा से ही अपने घर में हिंदू पर्व मनाते आए हैं और ये बात ठाकरे साहब को काफी अच्छी लगती थी कि सलीम खान गणपति और दूसरे हिंदू पर्व को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं।
वाक्या साल 2001 एक का है, सलमान खान और ऐश्वर्या के बीच रोमांस की खबरों का बाजार गर्म था। और अचानक 4 साल बाद 2005 में एक रिकॉर्डेड फोन कॉल रिलीज किया गय़ा, जिसमें सलमान एक डॉन का नाम लेकर धमकी दे रहे थे। फिर क्या था शिवसेना और बीजेपी, दोनों ने सलमान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
सिनेमाघरों में तोड़फोड़ की गई और मुंबई-दिल्ली जैसे शहरों में सलमान की फिल्मों की स्क्रीनिंग रोक दी गई। इस कंट्रोवर्सी में जब खान परिवार ने बाल ठाकरे साहब से संपर्क किया तो उन्होंने अपना पूरा सहयोग देने का वादा किया। बाला साहेब के इशारे पर ही सलमान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कम हो गए।
मामला कोर्ट में गया और ये पाया गया कि इस बातचीत में सलमान की आवाज थी ही नहीं। लेकिन ठाकरे साहब ने इस विवाद के शांत होने के बाद ये कमेंट किया था कि सलमान एक समझदार इंसान नहीं है। इस बात को उनके पिता भी मानते हैं। सलमान को ज्यादा बोलना नहीं चाहिए।
बॉलीवुड में बाला साहब की पूरी पैठ थी। समकालीन अभिनेताओं से उनकी अच्छी बनती थी और शायद इसलिए बुरे दौर में हर अभिनेता इस टाइगर के शरण में जरुर आता था।
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