Beauty & Beast का बहिष्कार, वजह ऐसी कि सोच में पड़ जाएंगे आप

Beauty & Beast का बहिष्कार, वजह ऐसी कि सोच में पड़ जाएंगे आप , तमाम अपवादों और असहमतियों के बावजूद पश्चिमी देशों का उनमुक्त समाज रूढ़िवादी सोच पर लगाम कसके प्रगतिवाद को बढ़ावा देने के लिए मशहूर है। वक़्त-वक़्त पर किसी ना किसी मुद्दे के ज़रिए उनकी ये सोच परिलक्षित भी होती रहती है, जिसकी मिसाल हम अक्सर यहां बैठकर अपनी ज़रूरत के हिसाब से देते नज़र आते हैं। मगर, सोचिए जब उसी प्रगतिवादी सोच वाले समाज में किसी फ़िल्म पर इसलिए बैन लगा दिया जाए कि उसमें Gay रेफ़रेंसेज हैं, तो हैरानी होना स्वाभाविक है।

सिनेमाघर मालिक़ों ने आगे कहा है, ”कई फैंस इसे फै़सले से सहमत नहीं होंगे, तो ठीक है, हम सबसे पहले क्रिश्चियंस हैं। बाइबिल हमें जो सिखाती है, उससे समझौता नहीं करेंगे। हम परिवार के लायक़ फ़िल्में दिखाते रहेंगे, जिससे आप सेक्स, नग्नता, समलैंगिकता और अश्लील भाषा की फ़िक्र किए बिना अपने परिवार के साथ बेहिचक फ़िल्में देख सकें।”

अब आपके लिए ये जानना ज़रूरी है, कि अलबामा चेन की ओर से ऐसा कठोर फ़ैसला क्यों किया गया। पीटीआई ने स्थानीय अखबारों के हवाले से ख़बर दी है कि, पिछले हफ़्ते ब्यूटी एंड बीस्ट के डायरेक्टक बिल कांडॉन ने एक गे मैग़ज़ीन के साथ हुए इंटरव्यू में ये खुलासा किया था कि फ़िल्म का लीफू नाम का किरदार गैस्टन के लिए रोमांटिक भावनाएं महसूस करता है। लीफू को जॉश गैड ने निभाया है, जबकि गैस्टन के किरदार में ल्यूक इवांस हैं।

कांडॉन के इस खुलासे के बाद अलबामा सिनेमाघर मालिक़ों ने अपने थिएटर्स में फ़िल्म को बैन कर दिया है। बताते चलें कि ब्यूटी एंड बीस्ट में एमा वॉटसन, डैन स्टीवंस, केविन क्लिने, एमा थांपसन, इयान मैकलेन, इवान मैकग्रेगर मुख्य किरदारों में दिखेंगे। भारत में ये फ़िल्म 17 मार्च को रिलीज़ होगी। देखते हैं कि यहां ब्यूटी एंड बीस्ट को लेकर सेंसर बोर्ड का क्या रूख़ रहता है।

अमेरिका के अलबामा थिएटर्स के मालिक़ों ने Beauty & Beast को अपने यहां रिलीज़ करने से इंकार कर दिया है। कारण बताया गया है कि डिज़्नी (बच्चों की फ़िल्में बनाने के लिए मशहूर) की इस Beauty & Beast में Gay करेक्टर को दिखाया गया है। इसलिए वो इसे अपने थिएटर्स में प्रदर्शित नहीं कर सकते। अलबामा सिनेमा के फेसबुक पेज पर इसको लेकर लिखा गया है- ”जब कंपनियां लगातार अपना दृष्टिकोण हम पर थोप रही हैं, तो हमें एक स्टैंड लेने की ज़रूरत है। हम सभी अपनी पसंद तय करते हैं और मैं अपनी तय कर रहा हूं। अगर हम अपनी 11 साल की पोती और 8 साल के पोते को साथ ले जाकर Beauty & Beast नहीं देख सकते तो हमें इसे देखने का कोई मतलब नहीं। अगर हम किसी फ़िल्म को ईश्वर या जीसस के साथ बैठकर नहीं देख सकते, तो इसे दिखाने का कोई मतलब नहीं।”

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