बिमल रॉय जिन्होंने अपने दर्द को सिनेमा के पर्दे पर पिरो दिया

बिमल रॉय ने अपने फिल्मी करियर में एक से बढ़कर एक बेहतरीन फिल्म का निर्माण किया। इन्ही तमाम फिल्मों में से एक फिल्म थी ‘दो बीघा जमीन’, जिसे देखकर पूरी दुनिया की आंखे खुली की खुली रह गई थी।

माना जाता है कि बिमल रॉय की सुपरहिट फिल्म दो बीघा जमीन उनकी निजी ज़िंदगी पर आधारित है, जिसकी वजह से ही फिल्म काफी दमदार बन सकी।

बिमल रॉय के पिता का स्वर्गवास बहुत ही कम समय में हो गया था, जिसके बाद सारी जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई थी। इसी बीच बताया जाता है कि बिमल रॉय के चाचा ने उन्हें जमींदारी से बेदखल कर दिया गया था, जिसके बाद वे दर दर भटकने के लिए मजबूर हो गए थे।

जमींदारी से बेदखल होने के बाद बिमल रॉय अपने पूरे परिवार के साथ कोलकाता आ गये और फिर धीरे धीरे मायानगरी जा पहुंचे, जहां से उन्होंने अपने करियर की शरुआत की।

कोलकाता शिफ्ट होने से पहले उन्हें कई तरह की मानसिक और शारीरिक प्रताड़नाए भी झेलनी पड़ी थी, जिसके बारे में अक्सर बात की जाती है। इन्हीं तमाम यातनाओं की बदौलत ही बिमल रॉय के एक बेहतरीन निर्देशक भी बन सके।

बिमल रॉय के निर्देशन में बनी फिल्म दो बीघा जमीन भले ही उनके निजी जीवन पर आधारित थी, लेकिन इस फिल्म ने समाज की उस सच्चाई को उजागर कर दिया था, जिसे लोग आंख खोल कर भी नहीं देखना चाहते थे।

इस फिल्म ने विश्व पटल पर कई अवॉर्ड भी जीते और वहीं से बिमल रॉय का करियर जमकर उछला। इतना ही नहीं, इस फिल्म में मुख्य किरदार निभाने वाले बलराज साहनी को भी दर्शकों का खूब प्यार मिला।

बिमल रॉय को 1954 में कांस फिल्म फेस्टिवल में अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार के अलावा 11 फिल्मफेयर और दो राष्ट्रीय पुरस्कार मिले, जिसमें उनकी फिल्में ‘दो बीघा जमीन’, ‘परिणीता’, ‘बिराज बहू’, ‘मधुमति’, ‘सुजाता’, ‘देवदास’ और ‘बंदिनी’ शामिल है।

इन फिल्मों की बदौलत ही आज भी बिमल रॉय का नाम जिंदा है। बता दें कि बिमल रॉय का निधन 8 जनवरी, 1965 में हो गया था, लेकिन उनकी दो बीघा जमीन आज भी लोगों को रुला देती है और लोग उन्हें खूब याद करते हैं।

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