मायानगरी का सिटाडेल तो टूटेगा ही आपकी इच्छा- अनिच्छा से क्या लेना देना?
मायानगरी बॉलीवुड में ये तो होना ही था मायानगरी का सिटाडेल तो टूटेगा ही आपकी इच्छा- अनिच्छा से क्या लेना-देना? अभिमन्यु का जन्म ही हुआ था युद्धनीति, युद्धक्षेत्र में अधर्म की परकाष्ठा को अधर्मी प्राप्त करें! अधर्म को अपने निम्नतम स्तर पर पहुंच जाना अधोगति भी कह सकते हैं!
इस स्थिति में होता ये है की समाज का गुरु, राजपुत्र, वीर, मित्र, इज्जतदार, रिश्तेदार सब अधर्मगति को प्राप्त कर लेते हैं और उस अधर्म की परकाष्ठा में संगी-साथी हो जाते हैं! महाभारत में अभिमन्यु को घेर कर मारा जाना वही था! अभिमन्यु का जन्म हुआ ही इसीलिये था। ये कृष्ण को भी ज्ञात था, नहीं तो किसकी औकात थी कि कृष्ण के भांजे को कोई मार सके! बात समझियेगा बस!
सुशांत सिंह की मृत्यु यही है बॉलीवुड के असंस्कार का! उसका जन्म इसी महाभारत के लिये हुआ था, कारण स्वरूप मृत्यु भी! दरअसल होता ये है कि जब अधर्म अपनी परकाष्ठा जी लेता है तो धर्म को फ्लैक्स-बिलिटी प्राप्त हो जाती है!
युद्धिष्ठिर ये उद्घोष की अश्वस्थामा मारा गया – हाथी या मानुष, धंसे पहिये निकालते कर्ण को मारने के लिये श्रीकृष्ण का आदेश देना, शिखंडी के पीछे छुप पितामह भीष्म की हत्या, अर्जुन की प्रतिज्ञा पूरी करने हेतु जयद्रथ को मारने के लिए कृष्ण द्वारा बादलों से सूर्य को ढंक दिया जाना, कि सूर्यास्त का आभास हो जाये आदि कई घटनाएं। अभिमन्यु की अधार्मिक वीरगति से धर्म को प्राप्त हुई वही फ्लैक्स-बिलिटी थी ये! जो कि अधर्म के विनाश कर धर्मसिद्धि के लिए मिली थी महाभारत में!
हाँ महाभारत की एक घटना अभिमन्यु के मृत्यु के पूर्व हुई थी , जिस पर प्रश्न कर सकते हैं आप वो था बर्बरीक की हत्या। मात्र इसको अधर्म की श्रेणी में आप रख सकते। लेकिन इसके क्यूँ और कारण पर कभी और बात होगी! इसीलिये तो कुरुक्षेत्र को धर्मक्षेत्रे कहा गया है श्रीमद्भागवत गीता में! नहीं तो भाई मेरे सामान्यतः धर्म में युद्ध और हिंसा का स्थान ना होता! खैर
श्री संजय पाठक जी की फेसबुक पोस्ट के साभार
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