आर डी बर्मन, जिनके नाम में ही एक संगीत छिपा था ,पंचम

आर डी बर्मन के नाम में ही संगीत छिपा था शायद इसलिए लोग उन्हें पंचम कहते थे। 4 जनवरी 1994 को हिन्दी संगीत जगत सितारे पंचम दा ने अपनी अंतिम सांस ली थी। 27 जून 1939 को कलकत्ता में जन्में पंचम दा सिर्फ 54 साल की उम्र में हज़ारों गाने छोड़ कर इस दुनिया से विदा हो चुके थे! इस बात से शायद ही कोई इनकार करे कि आज की पीढ़ी भी उनके ताल पर गाहे-बगाहे नाच ही उठती है।

सब जानते हैं कि आर डी बर्मन के पिता सचिन देव बर्मन जाने-माने संगीतकार और गायक थे, लेकिन यह बात कम लोग जानते हैं कि उनकी मां मीरा भी गीतकार थीं। आर डी बर्मन का निकनेम टुबलू था, लेकिन वे पंचम के नाम से मशहूर हुए। पंचम नाम उन्हें दिग्गज अभिनेता अशोक कुमार ने दिया था।

महज नौ बरस की उम्र में उन्होंने अपना पहला संगीत ”ऐ मेरी टोपी पलट के” को दिया, जिसे फ़िल्म “फ़ंटूश” में उनके पिता ने इस्तेमाल किया। छोटी सी उम्र में पंचम दा ने “सर जो तेरा चकराये …” की धुन तैयार कर ली थी जिसे गुरुदत्त की फ़िल्म “प्यासा” में ले लिया गया। “प्यासा” का यह गाना आज भी लोगों के जुबान पर है।

आमतौर पर मुंबई फ़िल्म इंडस्ट्री कभी थमती नहीं। काम और बस काम यही है इसकी पहचान! पर एक बार हुआ यह कि फ़िल्म यूनियन वालों का कुछ पंगा हुआ और इंडस्ट्री में स्ट्राइक कर दिया गया। सारे काम ठप्प। लेकिन, जिसे काम करने की आदत हो वो अपने इस आदत से स्ट्राइक तो नहीं ले सकता न।

आर डी बर्मन बचपन से संगीत के दीवाने रहे हैं। उन्हें एक गीत के लिए धुन बनाना था। स्ट्राइक की वजह से सभी स्टूडियो भी बंद थे। बालकनी में बैठे आरडी सोच रहे थे कि आखिर क्या किया जाए? तभी मुंबई की बारिश ने जैसे उन्हें पुकारा हो।

आर डी बर्मन का दिमाग चौंका और उन्होंने उसी क्षण बारिश की बूंदों को रिकोर्ड किया और फिर उसी लय पर, उन ध्वनियों को रखते हुए उन्होंने एक गाना तैयार कर लिया। म्युज़िक के लिए ऐसा पैशन हो तभी कोई आरडी बन सकता है।

1960 के दशक से 1990 के दशक तक आर डी बर्मन ने 331 फिल्मों में संगीत दिया। गायक कुमार सानू को पंचम दा ने ही पहला ब्रेक दिया यही नहीं गायक अभिजीत को भी आरडी ने ही बड़ा ब्रेक दिया। हरिहरन को भी पहली बार आरडी के साथ ही पहचान मिली।

मोहम्मद अजीज ने भी पंचम दा के साथ ही 1985 में पहला गाना गाया। 1980 के दशक में पंचम दा का जादू फीका पड़ने लगा और बप्पी लाहिड़ी, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल जैसे संगीतकार उनकी जगह लेने लगे।

हालांकि इस दश्ाक में भी उन्होंने कई यादगार गाने दिए। पंचम दा को 1983 में फिल्म ‘सनम तेरी कसम’, 1984 में ‘मासूम’ और 1995 में ‘1942: ए लव स्टोरी’ में शानदार संगीत देने के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड से नवाजा गया।

पंचम दा की पर्सनल लाइफ के बारे में बहुत कम बात होती है। उनकी पहली पत्नी का नाम रीता पटेल था, जिनसे वे दार्जिलिंग में मिले थे और दोनों ने 1966 में शादी रचाने के बाद 1971 में तलाक ले लिया।

1980 में उन्होंने गायिका आशा भोंसले से शादी रचा ली। इससे पहले दोनों ने कई फ़िल्मों में जबरदस्त हिट गाने देने के साथ ही कई स्टेज प्रोग्राम भी किए थे। कहते हैं ज़िंदगी के अंतिम दिनों में पंचम दा को पैसे की तंगी हो गई थी। लेकिन, उनके संगीत का खज़ाना कभी कम नहीं हुआ।

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