देव आनंद इश्क की राहों का शर्मीला मुसाफिर

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देव आनंद आज भले ही दुनिया में न हों, लेकिन अपनी बेहतरीन फिल्मों, अलग अंदाज और शानदार एक्टिंग के जरिए वो हमेशा लोगों के बीच जिंदा रहेंगे।

आज ही के दिन 26 सितंबर 1923 को देव आनंद का जन्म पंजाब (ब्रिटिश भारत) के शंकरगढ़ में हुआ था। देव साहब ने अपने करियर में 116 फिल्मों में काम किया।

ब्लैक एंड व्हाइट से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाले देव आनंद जब रंगीन फिल्मों के जरिये सिनेमा के पर्दे पर उतरते थे तो लड़कियां आहें भरतीं थीं। देव आनंद ने बॉलीवुड को एक अलग तरीके का एक्टर दिया।

फिल्म गाइड में बात की लिव इन रिलेशन की

आरके नारायण के उपन्यास पर बनी फिल्म गाइड आज भी दर्शकों को पसंद है। इस फिल्म के जरिए पहली बार लिव इन रिलेशनशिप को दिखाया गया था। यह देव आनंद की पहली रंगीन फिल्म थी। इस फिल्म के लिए उन्हें बेस्ट एक्टर का फिल्म फेयर अवॉर्ड भी मिला।

देव आनंद के काले कोट पहनने पर बैन

हमेशा फैशन आइकन रहे देव आनंद साहब के कई किस्से हैं। इनमें से एक किस्सा जो हर किसी को याद आता है, वो है उनके कपड़ों पर बैन। देव आनंद ने एक दौर में व्हाइट शर्ट और ब्लैक कोट को इतना पॉपुलर कर दिया था कि लोग उन्हें कॉपी करने लगे थे।

फिर एक दौर वह भी आया जब उनके पब्लिक प्लेस में काला कोट पहनने पर बैन लगा दिया गया। ऐसी अफवाह थी कि देव आनंद को काले कपड़ों में देखने के लिए लड़कियां अपनी छतों से कूद जाया करती थीं।

बॉलीवुड का कोहिनूर कहे जाने वाले देव साहब को एक्टिंग और डायरेक्शन में महारत हासिल थी। उनकी सबसे खास बात यह थी कि उन्होंने हिंदी सिनेमा को मॉर्डन बनाने में कदम उठाया। हिंदी सिनेमा में नई-नई एक्ट्रेस लांच करने का चलन देव साहब से ही शुरू हुआ था। 3 दिसंबर 2011 को उन्होंने लंदन में अंतिम सांस ली।

देव आनंद की प्रेम कहानियां

देव आनंद सुरैया से शादी करना चाहते थे मगर

देव आनंद की लव स्टोरी भी किसी फिल्म से कम नहीं थी। देव आनंद को सुरैया से प्यार हो गया था। वह उनसे बेहद प्यार करते थे। उन्होंने शादी के लिए सुरैया को प्रपोज भी किया था।

मगर सुरैया की नानी के ना कहने की वजह से दोनों शादी के बंधन में नहीं बंध पाए। देव आनंद के हिंदू होने की वजह से सुरैया की नानी ने दोनों की शादी के लिए मना किया था। बाद में देव आनंद की शादी एक्ट्रेस कल्पना कार्तिक से हुई।

देव आनंद का पहला प्यार जिसे कोई नहीं जानता

देव साहब ने अपने जीवन में अपनी साथी कलाकार सुरैया से टूटकर मोहब्बत की और उसे हमेशा स्वीकारा भी, हालांकि उनकी मोहब्बत शादी तक नहीं पहुंच सकी।

लेकिन सुरैया को उनका पहला प्यार माना जाता है, जबकि सच्चाई यह है कि देव साहब के जीवन में पहला प्यार के रूप में जो महिला आयीं उनका नाम था ऊषा चोपड़ा। ऊषा चोपड़ा उनके साथ इंग्लिश आनर्स की पढ़ाई कर रही थी और उनके क्लास की एकमात्र लड़की थी।

वह एक अंग्रेज मां और हिंदुस्तानी पिता की संतान थी। देव आनंद बचपन से ही शर्मीले थे लेकिन उषा ने उनसे अपने दिल की बात कही थी। उसने एक बार देव साहब का पीछा किया था और शर्मीले देव साहब उससे बचकर भाग रहे थे।

लेकिन तेज कदमों से चलकर उसने उन्हें पकड़ लिया और अपनी ओर खींचकर कर कहा, यह फूल लो इसे मैंने तुम्हारे लिए तोड़ा था। देव आनंद घबरा गये थे और ऊषा से बचना चाह रहे थे, ऊषा ने उनसे कहा कि मैं तुम्हें क्लास में चूमना चाहती थी, लेकिन टीचर आ गयी।

देव साहब के जीवन में कई लड़कियां आयीं जिनका जिक्र ‘Romancing with Life’ में उन्होंने किया है। किताब को पढ़ते हुए कभी-कभी यह महसूस भी होता है कि इस रोमांटिक हीरो को उनका सच्चा प्यार शायद आजीवन नहीं मिला और वे तलाश में भटकते रहे।

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