जगजीत सिंह की गज़ल सुनकर जब चित्रा सिंह उनसे शादी करने को तैयार हो गईं!
जगजीत सिंह की गज़ल सुनकर जब चित्रा सिंह उनसे शादी करने को तैयार हो गईं! 1965 में जगजीत सिंह मुंबई पहुंचे थे, जहाँ उनकी मुलाक़ात उस समय उभर रही गायिका चित्रा सिंह से हुई थी। चित्रा सिंह बताती हैं, “जब पहली बार मैंने जगजीत को अपनी बालकनी से देखा था तो वो इतनी टाइट पैंट पहने हुए थे कि उन्हें चलने में दिक्कत हो रही थी। वो मेरे पड़ोस में गाने के लिए आए थे।”
“मेरी पड़ोसी ने मुझसे पूछा कि संगीत सुनोगी? क्या गाता है। क्या आवाज़ पाई है।” वो बताती हैं, “लेकिन जब मैंने उन्हें पहली बार सुना तो वो मुझे क़तई अच्छे नहीं लगे। मैंने एक मिनट बाद ही टेप बंद कर देने के लिए कहा।” दो साल बाद जगजीत और चित्रा संयोग से एक ही स्टूडियो में गाना रिकॉर्ड करा रहे थे।
चित्रा बताती हैं, “रिकॉर्डिंग के बाद मैंने जगजीत को अपनी कार में लिफ़्ट देने की पेशकश की, सिर्फ़ कर्ट्सी के नाते। मैंने कहा कि मैं करमाइकल रोड पर उतर जाउंगी और फिर मेरा ड्राइवर आपको आपके घर छोड़ देगा।”
“जब वो मेरे घर पहुंचे तो मैंने शालीनतावश ऊपर अपने फ़्लैट में उन्हें चाय पीने के लिए बुलाया। मैं रसोई में चाय बनाने चली गई। तभी मैंने ड्राइंग रूम में हारमोनियम की आवाज़ सुनी। जगजीत सिंह गा रहे थे.. धुआँ उठा था… उस दिन से मैं उनके संगीत की कायल हो गई।”
धीरे-धीरे चित्रा के साथ उनकी दोस्ती बढ़ी और दोनों ने एक साथ गाना शुरू कर दिया। जगजीत सिंह ने ही चित्रा को सुर साधने, उच्चारण और आरोह-अवरोह की कला सिखाई। चित्रा याद करती हैं, “अगर मैं डुएट के दौरान कोई ग़लती करती थी तो वो तत्काल मुंह बना लेते थे। मेरी आवाज़ बांसुरी जैसी थी, महीन और ऊँचे सुर वाली, जबकि उनकी आवाज़ भारी थी।
उन्होंने संगीत का गहरा प्रशिक्षण लिया था। वो ज़रूरत पड़ने पर किसी गाने को चालीस पैंतालीस मिनट तक खींच सकते थे।” “मैं ऐसा नहीं कर सकती थी। मैं जानती हूँ डुएट गाने में उनकी आवाज़ बाधित होती थी, स्टेज पर और अधिक। उनका मुख्य स्वभाव था ऊँचा उठाना। उनको बंधन से नफ़रत थी।”
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