गुरुदत्त की ज़िंदगी जो एक तिलिस्म से कम नहीं थी

Contents

गुरुदत्त ने आज ही के दिन यानी 10 अक्टूबर को ही दुनिया को अलविदा कह दिया था। उन्हें जीना रास नहीं आया और उन्होंने खुद मौत को गले लगा लिया। जी हां, गुरुदत्त ने आज ही के दिन आत्महत्या की थी।

गुरुदत्त का नाम आते ही जैसे आंखों के सामने प्यासा, कागज के फूल, साहिब बीबी और गुलाम जैसी फिल्मों के दृश्य सामने आ जाते हैं। यह उस निर्माता-निर्देशक व अभिनेता का नाम है जो बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे।

गुरुदत्त का जन्म 9 जुलाई को बेंगलुरु के शिवशंकर राव पादुकोण और वसंती पादुकोण के घर में हुआ था। गुरुदत्त के बचपन का नाम वसंत कुमार शिवशंकर पादुकोण था लेकिन बंगाली संस्कृति के प्रति उनका लगाव इतना बढ़ा कि उन्होंने अपना नाम बदलकर गुरुदत्त रख लिया था।

गुरुदत्त की ज़िंदगी में रहा उतार चढ़ाव

गुरुदत्त ने अपने करियर में तो खूब नाम कमाया लेकिन उनकी जिंदगी में भी काफी उठा-पटक रही। उन्हें प्यार में धोखा मिला। फिर उन्होंने शराब, सिगरेट और नींद की गोली को अपनी जिंदगी का अहम हिस्सा बना लिया। ‌सिर्फ 39 साल की छोटी सी उम्र में उन्होंने खुदकुशी कर ली थी।

गुरुदत्त की पहला प्यार गीता दत्त

गुरुदत्त जब फिल्म ‘बागी’ बना रहे थे तो सेट पर ही उनकी मुलाकात सिंगर गीता दत्त रॉय से हुई। वो उस समय की मशहूर प्लेबैक सिंगर में से एक थीं। गुरुदत्त को उनसे इश्क हो गया। फिर क्या था कुछ समय चले अफेयर के बाद दोनों ने शादी कर ली। दोनों के तीन बच्चे भी हुए।

एक समय वह भी था जब गुरुदत्त की बनाई फिल्में एक के बाद एक हिट हो रही थीं। अब बारी आई फिल्म सीआईडी की। इस फिल्म के लिए उन्हें एक नए चेहरे की तलाश थी। गीता और गुरुदत्त दोनों हैदराबाद में एक फिल्म समारोह में पहुंचे थे।

गुरुदत्त कैसे मिले वहीदा रहमान से

वहां उनकी नजर वहीदा रहमान पर जाकर रुक गई। उस समय वह तेलुगु और तमिल फिल्मों में काम किया करती थीं। गुरुदत्त और गीता दोनों वहीदा रहमान के पास गए और उनका नाम पूछा। उन्होंने का कहा, ‘मेरा नाम वहीदा है।’

नाम सुनकर गुरुदत्त बोले, तुम मुस्लिम हो, फिर तो तुम्हें उर्दू और हिंदी दोनों आती होगी। इस पर उन्होंने कहा हां बहुत अच्छे से आती है।

फिर गुरुदत्त तपाक से बोल पड़े, हिंदी फिल्मों में काम करोगी? इस पर वहीदा बोलीं, ‘मैं शुरू से ही हिंदी फिल्मों में काम करना चाहती थी, लेकिन अभी तक कोई ऑफर नहीं मिला था इसलिए मजबूरी में तमिल फिल्में करनी शुरू कर दी।’

वहीदा रहमान से बिना कुछ बोले गुरुदत्त और गीता दत्त मुंबई वापस आ गए थे। इस मुलाकात के तीन महीने बाद गुरुदत्त ने अपने एक दोस्त को वहीदा के पास हैदराबाद भेजा।

वहीदा को सीआईडी के स्क्रीन टेस्ट के लिए बुलाया था। यही वहीदा की पहली हिंदी फिल्म थी। उन्होंने इस फिल्म में केमियो रोल किया था। वहीदा रहमान और गुरुदत्त की मुलाकातें इस फिल्‍म के बाद बढ़ गई थीं।

फिल्म प्यासा के लिए उन्होंने वहीदा को साइन किया। खबर थी कि गुरुदत्त पहले इस फिल्म के लिए दिलीप कुमार को लेना चाहते थे लेकिन अचानक उन्होंने मन बदल लिया। उन्होंने खुद ही इस फिल्म में लीड रोल करने का फैसला किया।

चर्चा तो ये भी थी कि फीमेल लीड के लिए गुरुदत्त मधुबाला और नर्गिस को लेने के बारे में विचार कर रहे थे। इस फिल्म में गुरुदत्त और वहीदा की केमिस्ट्री कमाल की थी।

बेहतरीन संगीत और अभिनय की वजह से इस फिल्म ने बॉलीवुड में इतिहास रच दिया। एक रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुदत्त की ‘प्यासा’ दुनिया में अब तक बनी टॉप 100 फिल्मों में से एक है। ये फिल्म जबरदस्त हिट रही थी। इसके बाद तो वहीदा और गुरुदत्त हर फिल्म में लीड पेयर के तौर पर नजर आने लगे। इसी के साथ दोनों के अफेयर की खबरें लगातार बढ़ती चली गईं।

गुरुदत्त को वहीदा रहमान की वजह से पत्नी से छोड़ा

जब पत्नी गीता तक ये बात पहुंची तो उन्होंने हमेशा के लिए गुरुदत्त का घर छोड़ दिया। फिर वो लौटकर कभी नहीं आईं। जब वहीदा को इस बात का अहसास हुआ कि उनकी वजह से गुरुदत्त का परिवार टूट रहा है तो उन्होंने कागज़ के फूल के बाद उनके साथ कभी काम नहीं किया।

वो भी गुरुदत्त से हमेशा के लिए दूर चली गईं। फिल्म कागज़ के फूल के निर्देशन में गुरुदत्त ने दोस्तों के कई बार मना करने के बाद भी इसमें लाखों रुपए लगाए थे।

कागज के फूल ने तोड़ दिया गुरुदत्त को

गुरुदत्त को भरोसा था कि ये फिल्म भी सुपर हिट होगी। लेकिन जब फिल्म परदे पर आई तो दर्शकों को समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर गुरुदत्त इस फिल्म के माध्यम से क्या कहना चाहते थे। इसी वजह से यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हो गई।

कहा जाता है कि फिल्म कागज के फूल गुरुदत्त के असल जीवन पर आधारित थी। इस सदमे को गुरुदत्त सहन नहीं कर पाए और उन्होंने निर्देशन करना छोड़ दिया।

फिल्म फ्लॉप होने के बाद गुरुदत्त को बहुत बड़ा नुकसान हुआ था। इसलिए वो फिल्मों में अभिनय और सह निर्देशक के तौर पर काम करते रहे। उन्होंने फिल्म साहेब बीवी और गुलाम का सह-निर्देशन भी किया।

अकेलेपन ने ले ली गुरुदत्त की जान

पत्नी गीता के घर छोड़ने और फिल्म फ्लॉप होने की वजह से गुरुदत्त डिप्रेशन में चले गए। इससे बाहर आने के लिए उन्होंने शराब, सिगरेट और नींद की गोलियों का सहारा लेना शुरू कर दिया था।

कहा जाता है कि खुदकुशी से पहले गुरुदत्त अपनी बीवी- बच्चों से मिलना चाहते थे। उन दिनों गीता आशा भोसले के घर पर रहा करती थीं इसलिए उन्होंने देर रात आशा भोसले के घर पर कॉल की। लेकिन पत्नी ने बात करने से मना कर दिया था।

आशा भोसले ने कहा था कि वो घर पर नहीं है। यह सुनकर गुरुदत्त को बहुत बुरा लगा था। इसी वजह से उन्होंने नींद की गोलियां ज्यादा मात्रा में ले ली थी और शाम 5:30 बजे से लगातार शराब पी रहे थे। जिससे उनका देहांत हो गया।

कहा जाता है कि ये उनकी खुदकुशी की तीसरी कोशिश थी। इससे पहले भी वो दो बार आत्महत्या की कोशिश कर चुके थे।

तो इस तरह हिंदी सिनेमा का यह दिग्गज यूं ही असमय काल के गाल में समा गया। पर आज भी अपने बेहतरीन सिनेमा ने उन्हें जिंदा रखा है, उनकी क्लासिक फिल्में आज भी चाव से देखी जाती है। तभी तो कहा जाता है कि कलाकार मरकर भी अपनी कला में जिंदा रहता है।

मनोरंजन की ताज़ातरीन खबरों के लिए Gossipganj के साथ जुड़ें रहें और इस खबर को अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और हमें twitter पर लेटेस्ट अपडेट के लिए फॉलो करें।

You might also like