इरफान खान जिसके आगे मुश्किलें भी घुटने टेक देती हैं, जन्मदिन विशेष

इरफान खान जिसके आगे मुश्किलें भी घुटने टेक देती हैं, जन्मदिन विशेष, बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक अपने अभिनय की छाप छोड़ने वाले अभिनेता इरफान खान ने हर वर्ग के दर्शकों को प्रभावित किया है। इरफान खान का जन्म 7 जनवरी 1967 को जयपुर के एक मुस्लिम पठान परिवार में हुआ था। उनका पूरा नाम साहबजादे इरफान अली खान है। उनके पिता टायर का व्यापार करते थे।

इरफान ने पहली बार 2005 में आई फिल्म ‘रोग’ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। फिल्म ‘हासिल’ के लिए इरफान खान को उस साल का ‘बेस्ट विलेन’ का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला। उसके बाद इरफान ने ‘लंचबॉक्स’, ‘गुंडे’, ‘हैदर’, ‘पीकू’ और ‘हिंदी मीडियम’ जैसी बेहतरीन फिल्मों में काम किया। इरफान खान को फिल्म ‘पान सिंह तोमर‘ के लिए नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। साल 2011 में भारत सरकार की तरफ से उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया।

आपको जानकर हैरानी होगी कि पठान परिवार के होने के बावजूद इरफान बचपन से ही शाकाहारी हैं। उनके पिता उन्हें हमेशा यह कहकर चिढ़ाते थे कि पठान परिवार में ब्राह्मण पैदा हो गया। इरफान खान का शुरुआती दौर संघर्षों से भरा था। जब उनका एनएसडी में प्रवेश हुआ, उन्हीं दिनों उनके पिता की मृत्यु हो गई। जिसके बाद इरफान को घर से पैसे मिलने बंद हो गए। एनएसडी से मिलने वाली फेलोशिप के जरिए उन्होंने अपना कोर्स खत्म किया।

इरफान खान ने अपनी क्लासमेट सुतपा सिकंदर से 23 फरवरी 1995 को शादी की। इरफान के संघर्ष के दिनों में सुतपा हमेशा उनके साथ खड़ी रहीं। इरफान ने जब सुतपा सिकंदर से शादी का फैसला किया तो वो उनके लिए धर्म बदलने के लिए भी तैयार हो गए थे लेकिन सुतपा के घरवाले दोनों की शादी के लिए तैयार हो गए, जिसके बाद इरफान को धर्म बदलने की जरूरत नहीं पड़ी।

इरफान खान ने अपने करियर में कई यादगार फिल्मों में काम किया है। बॉलीवुड के साथ-साथ इरफान हॉलीवुड में भी सक्रिय रहे हैं। उन्होंने ‘स्पाइडर मैन’, ‘जुरासिक वर्ल्ड’ और ‘इन्फर्नो’ जैसी फिल्मों में काम किया। हाल ही में हॉलीवुड अभिनेता टॉम हैंक्स ने उनकी सराहना करते हुए कहा था कि इरफान की आंखें भी अभिनय करती हैं।

आपको बता दें कि बॉलीवुड ऐक्टर इरफान खान को न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर नाम की रहस्यमयी बीमारी हो गई थी। इसके बाद इरफान खान अपना इलाज कराने के लिए लंदन चले गए थे।एंडोक्राइन ट्यूमर शरीर की उन कोशिकाओं में होता है जो एंडोक्राइन हार्मोन रिलीज करती है। एंडोक्राइन ट्यूमर कैंसर का रूप भी ले सकता है। यदि ये कही से भी हो सकता है और कैंसर का रूप लेता है। इसके कई ग्रेड होते हैं।

ग्रेड एक और दो नॉर्मल है। वहीं, ग्रेड तीन सबसे खराब है। इस ग्रेड में ये कैंसर का रूप ले लेता है। यदि ग्रेड तीन का ट्यूमर है तो इसके लिए कीमोथेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है। ये ट्यूमर केवल दिमाग में ही नहीं बल्कि फेफड़े, पेट,पेनक्रियाज और आंतों तक में हो सकता है। न्यूरो एंडोक्राइन के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि ये किस शरीर के किस भाग में हो रहा है और कहां तक फैला है। इसके अलावा ट्यूमर फंक्शनल है या नॉन फंक्शनल है इस पर निर्भर होता है।

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