जगजीत सिंह ने जैसे ही इस ग़ज़ल को खत्म किया उन्हें वो मनहूस खबर मिल गई

जगजीत सिंह ने कई गीतों और ग़ज़लों अपनी आवाज देकर हमेशा-हमेशा के लिए अमर कर दिया है। मखमली आवाज के जादूगर और गज़ल की एक नई तासीर से दुनिया को परिचित कराने वाले जगजीत सिंह ने साल 2011 में दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।

जिस ‘दर्द’ और ‘आह’ को हम जगजीत साहब की गाई ग़ज़लों में महसूस करते हैं उस दर्द को जगजीत सिंह ने अपनी असल जिंदगी में भी जीया है। शायद जगजीत साहब के सीने में छिपा यह वो दर्द ही था जो उनकी आवाज बनकर ग़ज़ल के रुप में सामने आया।

साल 1990 का वो दिन जगजीत सिंह अपने जीते-जी कभी ना भूल सके। दरअसल ग़ज़ल की एक महफिल में जगजीत सिंह अपनी आवाज से महफिल को रोशन कर रहे थे। यह पार्टी अपने अंतिम पड़ाव पर थी तब हीं अभिनेत्री अंजू महेंद्रू ने जगजीत सिंह से फरमाइश की कि वो एक ग़ज़ल ‘दर्द से मेरा दामन भर दे’ एक बार सुना दें।

हालांकि उस वक्त जगजीत साहब ग़ज़ल गाने के मूड में नहीं थे लेकिन किसी की फरमाइश को अधूरा छोड़कर जाना उन्होंने मुनासिब नहीं समझा। कहा जाता है कि जगजीत सिंह ने जब इस बेहद खूबसूरत ग़ज़ल को अपनी आवाज़ दी तो वो इसमें इतना डूब गए की उनकी आंखों से आंसू खुद बा खुद बहने लगे। लेकिन इसके बाद जो हुआ वो उन्हें जिंदगी भर का सदमा दे गया।

महफिल खत्म होते ही मनहूस खबर आई जगजीत साहब के इकलौते चिराग के बुझ जाने की। लंदन में एक सड़क हादसे में जगजीत के बेटे विवेक सिंह मौत हो गई। खबर सुनते ही जगजीत सिंह सन्न रह गए।

इकलौते बेटे के अंतिम संस्कार में आए लोगों से जब जगजीत साहब ने कहा कि उस रात ऊपर वाले ने मेरी दुआ कबूल कर ली और मेरे दामन दर्द से भर दिया तो उनकी यह बात सुनकर लोगों के दिलों से ‘आह’ निकल कर रह गई। जगजीत साहब की पत्नी चित्रा सिंह ने इस दिन के बाद गाना छोड़ दिया।

बेटे के अचानक चले जाने के ग़म ने पिता को भी कई महीनों तक खामोश कर दिया। लेकिन करीब छह महीने बाद सीने में इस सदमे को दबाए जब जगजीत सिंह वापस ग़ज़ल गायकी की दुनिया में लौटे तो उनकी आवाज में किसी के खोने का दर्द कई गुना बढ़ा हुआ नज़र आया।

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