लता मंगेशकर की रेडियो खरीदने की हसरत थी लेकिन कुछ ऐसा हुआ उनके साथ…
रेडियो की खरीदने की हसरत थी लता मंगेशकर को लेकिन कुछ ऐसा हुआ उनके साथ… , यह कहावत गलत नहीं कि ‘पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं”। अक्सर महान लोगों की जीवन-कथाएं ये बताती हैं कि बचपन से ही वे सामान्य से हटकर थे।
स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर के बचपन की एक घटना भी ऐसा ही कुछ बताती है। इस घटना से पता चलता है कि वे छुटपन से ही बहुत संवेदनशील और संगीत को लेकर कितनी समर्पित थीं।
किस्सा उस समय का है जब लता मंगेशकर महज 15 साल की थीं। तब वे अपने आस-पड़ोस में रेडियो पर चलने वाले गीतों, भजनों आदि को सुना करतीं।
उन्हें रेडियो सुनना न सिर्फ बहुत पसंद था, बल्कि वे रेडियो में प्रसारित होने वाले गानों-भजनों को साथ-साथ गाने का प्रयास भी करतीं।
ये सिलसिला कुछ साल तक चला, लेकिन किसी और के यहां जाकर रेडियो सुनना कब तक संभव हो सकता था?
एक दिन ऐसा भी आया जब लता मंगेशकर के पास रेडियो खरीदने लायक पैसा इकठ्ठा हो गया। वे उस दिन बहुत खुश हुईं, क्योंकि अब अपना सबसे पसंदीदा रेडियो खरीदने जाने वाली थीं।
इसके लिए उन्होंने महीनों पैसे बचाए थे और अब स्वयं का रेडियो सुनना उनके लिए किसी सपने के सच होने जैसा था। वे दुकान पर पहुंचीं और अपनी पसंद का रेडियो खरीद लिया।
जैसे ही उन्होंने रेडियो चालू किया उस पर पहली खबर महान गायक व संगीतकार केएल सहगल के निधन की सुनाई दी। इससे लता का मन व्यथा से भर गया।
वे व्यथित हो गईं और तुरंत तय किया, वे यह रेडियो नहीं रखेंगी। संगीत के प्रति समर्पण और मन में अपार संवेदनशीलता लिए लताजी ने अगले ही दिन वह रेडियो दुकानदार को वापस कर दिया।
बाद में उन्होंने कई दिन तक रेडियो नहीं सुना। रेडियो की तमन्ना फिर कभी लता ने नहीं की। रेडियो की हसरत एक दुख में बदल गई।
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