मीना कुमारी, जिनके लिए निकाह एक सपना और तलाक एक हकीकत था- भाग 1
मीना कुमारी उर्फ महजबीन बानो का आज जन्मदिन है। मीना कुमारी को उनके गमगीन किरदारों और निजी जिंदगी में हुए उठा-पटक की वजह से जाना जाता है और इसीलिए उनको ‘ट्रैजिडी क्वीन’ के नाम से भी जाना जाने लगा।
मीना की शुरुआती जिंदगी काफी संघर्ष से भरी हुई थी। उनके पिता अली बख्श पारसी रंगमंच के एक बेहतरीन कलाकार थे। मीना की मां प्रभावती देवी, जिन्हें बाद में इकबाल बानो नाम से जाना गया वो भी एक अच्छी कलाकार थीं। माता-पिता के कलाकार होने का महजबीन को बहुत फायदा मिला।
मीना कुमारी का जन्म मुंबई में साल 1932 में हुआ था। महज 6 साल की उम्र में उन्होंने पहली बार किसी फिल्म के लिए काम किया था, लेकिन महजबीन को असली पहचान मिली साल 1952 में आई फिल्म ‘बैजू बावरा’ से। इसी फिल्म के निर्देशक विजय भट्ट ने महजबीन बानो को एक नया नाम दिया और तब से वो मीना कुमारी के नाम से जानी जाने लगीं।
जब महजबीन ने इस दुनिया में कदम रखा था। पिता अली बख्श और मां इकबाल बेगम (मूल नाम प्रभावती) के पास डॉक्टर को देने के पैसे नहीं थे। हालत यह थी कि दोनों ने तय किया कि बच्ची को मुस्लिम यतीमखाने के बाहर सीढ़ियों पर छोड़ दिया जाए। छोड़ भी आ। पर पिता का मन नहीं माना। पलट कर अली बख्श भागे और बच्ची को गोद में उठा कर घर ले आए। किसी तरह परवरिश की।
महजबीन ने छोटी उम्र में ही घर का सारा बोझ अपने कंधों पर उठा लिया। सात साल की उम्र से ही फिल्मों में काम करने लगीं। बेबी मीना के नाम से पहली बार फिल्म ‘फरजद-ए-हिंद’ में नजर आईं। इसके बाद लाल हवेली, अन्नपूर्णा, सनम, तमाशा आदि कई फिल्में कीं। लेकिन उन्हें स्टार बनाया 1952 में आई फिल्म ‘बैजू बावरा’ ने। इस फिल्म के बाद वह लगातार शोहरत की बुलंदियां चढ़ती गईं।
जब ‘बैजू बावरा’ रिलीज हुई, लगभग उसी वक्त महजबीन ने कमाल अमरोही से निकाह कर लिया। लेकिन निकाह चोरी-छिपे किया। चार-छह लोग ही इस बारे में जानते थे। कमाल अमरोही वही शख्स थे, जिन्होंने कभी मीना कुमारी के सलाम का जवाब तक नहीं दिया था। उस समय ‘महल’ के सुपर हिट होने के बाद अमरोही स्टार डायरेक्टर हो गए थे। एक फिल्म के सेट पर आमना-सामना होने पर जब मीना कुमारी ने उन्हें सलाम किया था तो उन्होंने जवाब तक नहीं दिया था।
एक दिन की बात है कि मीना कुमारी को पिता ने बताया कि कमाल अमरोही उन्हें अपनी अगली फिल्म में लेना चाहते हैं। मीना कुमारी को उनका ‘अक्खड़पन’ याद आ गया। उन्होंने मना कर दिया। कमाल अमरोही को यह बात पता चली। तब उन्होंने ही किसी तरह मीना कुमारी को मनाया और फिल्म के लिए साइन कर लिया।
कमाल अमरोही ने मीना कुमारी को जिस फिल्म के लिए साइन किया, वह तो कभी नहीं बन पाई, लेकिन दोनों के बीच प्यार जरूर पनप गया। पहले से शादीशुदा अमरोही उनके प्यार में पागल हो गए। एक दिन उनके मैनेजर और दोस्त ने पूछा- अगर इतनी मुहब्बत है तो निकाह क्यों नहीं कर लेते? कमाल ने कहा- क्या मीना तैयार होगी?
जवाब जानने के लिए कमाल के दोस्त और मैनेजर उनका पैगाम लेकर मीना कुमारी के पास पहुंच गए। मीना ने कमाल से प्यार की बात तो मानी, पर शादी से इनकार कर दिया। बोलीं- अब्बा की इजाजत के बिना यह संभव नहीं होगा। दोस्त ने किसी तरह राजी किया। यह कह कर कि अभी निकाह कर लें और सही वक्त देख कर अब्बा-अम्मी को भी मना लेंगे। 14 फरवरी, 1952 को दोनों का निकाह हो गया।
कमाल अमरोही और महजबीन के निकाह की कहानी भी दिलचस्प है। चार-छह लोगों की मौजूदगी में दो घंटे के भीतर दोनों का निकाह हुआ था। एक क्लिनिक में महजबीन की फिजियोथेरेपी चल रही थी। पिता अली बख्श रोज रात को आठ बजे महजबीन को उनकी बहन मधु के साथ क्लिनिक पर छोड़ आते थे और दस बजे लेने पहुंच जाते थे।
14 फरवरी (1952) को इसी दो घंटे के दौरान महजबीन का निकाह प्लान किया गया था। कमाल अमरोही के मैनेजर दोस्त, काजी और काजी के दो बेटों के साथ तैयार थे। अली बख्श के जाते ही सब क्लिनिक पर पहुंचे। काजी ने फौरन कमाल और मीना का निकाह पढ़वाना शुरू किया। काजी के दो बेटों और कमाल के दोस्त ने गवाही दे दी।
कमाल अमरोही शिया थे। सो पहले शिया रीति से निकाह पढ़वाया गया। इसके बाद सुन्नी तरीके से। रात के 9.45 बज गए थे। मीना और मधु ने काजी से कहा- जल्दी कीजिए। काजी ने फटाफट सब निपटाया। कमाल, उनके दोस्त, काजी, सब चले गए। पांच मिनट बाद अली बश्ख क्लिनिक पर पहुंचे और उन्हें सब कुछ सामान्य लगा। वह दोनों बेटियों को लेकर घर लौट गए।
पिता का गुस्सा देख महजबीन को सच बताना पड़ा। अली बख्श ने तुरंत कहा- तुम्हें तलाक लेना होगा। उन्होंने दोनों के मिलने पर पाबंदी लगा दी। शूटिंग पर मीना के साथ खुद जाने लगे और हर तरह से यह सुनिश्चित किया कि दोनों करीब नहीं आ सकें।
उधर, कमाल अमरोही की बेगम को भी पता चल गया कि उनके शौहर ने दूसरी शादी कर ली है। बेगम बच्चों को लेकर अपने गांव अमरोहा चली गईं। उनके रिश्तेदार तलाक के लिए अमरोही पर दबाव बनाने लगे। कमाल के सामने अजीब मुसीबत थी।
पहली बेगम के रिश्तेदार तलाक के लिए दबाव बना रहे थे, दूसरी बीवी से मिलने नहीं दिया जा रहा था। वह हालात से तंग आ गए और एक दिन महजबीन को पैगाम भिजवा दिया कि इस निकाह को एक भूल समझ कर खत्म कर देना चाहिए।
निकाह तोड़ने के लिए भेजे गए पैगाम के जवाब में मीना कुमारी ने कमाल अमरोही को खत लिखा- मुझे लगता है आप मुझे समझ नहीं पाए और समझ भी नहीं पाएंगे। बेहतर होगा कि आप मुझे तलाक दें। इसके बाद दोनों अपने काम में व्यस्त हो गए।
शादी की पहली सालगिरह, यानी 14 फरवरी, 1953 को मीना कुमारी ने कमाल को फोन किया। उन्होंने उस खत के लिए माफी मांगी। इस फोन के साथ ही दोनों के रिश्ते बेहतर होने लगे। पर मीना कुमारी के पिता अब भी नहीं मान रहे थे। एक दिन मीना कुमारी ने पिता से कहा भी कि कमाल फिल्म ‘डेरा’ बना रहे हैं और इसके लिए उन्हें उनकी जरूरत है। अली बख्श भड़क गए। उन्होंने महबूब खान की फिल्म में काम करने के लिए मीना पर दबाव डाला।
पिता के दबाव के आगे मीना झुक गईं। पर शूटिंग शुरू करने के चार-पांच दिन के भीतर ही महबूब खान से उनकी अनबन हो गई। उन्होंने सेट पर से ही पिता को फोन किया कि वह महबूब खान का सेट छोड़ कर कमाल के सेट पर जा रही हैं।
पिता की ख्वाहिश के खिलाफ जाकर मीना कुमारी पति की फिल्म ‘डेरा’ की शूटिंग के लिए चली गईं। लेकिन जब रात को घर लौटीं तो पिता ने साफ कह दिया कि बाप-बेटी का रिश्ता खत्म। उन्हें घर नहीं घुसने दिया। मीना कमाल के घर चली गईं।
इस तरह उनकी ससुराल में एंट्री हुई। जिंदगी में एक के बाद एक ऐसे हादसे होने लगे कि मियां-बीवी का रिश्ता बिगड़ने लगा। निजी जिंदगी जहां पाताल में जा रही थी, वहीं मीना कुमारी का कॅरियर आसमान छू रहा था। हालांकि, उनकी यह उड़ान भी निजी जिंदगी के लिए मुसीबत ही बनी।
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