मुकेश | मोहब्बत में धोखा नहीं दे सकते थे इसलिए भागकर की थी शादी

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मुकेश | मोहब्बत में धोखा नहीं दे सकते थे इसलिए भागकर की थी शादी, 22 जुलाई 1923 को जन्मे मुकेश जी का असली नाम था मुकेश चंद माथुर। गायकी के शौकीन मुकेश का बचपन में पढ़ाई में मन नहीं लगता था। 10वीं के बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और लोक निर्माण विभाग में नौकरी कर ली। लेकिन गायकी के प्रति अपना रुझान देखकर उन्होंने वॉइस रिकॉर्डिंग करना शुरू कर दिया।

मुकेश जी को कभी हिंदी सिनेमा में ‘द मैन विद गोल्डेन वॉइस’ कहा जाता था। वैसे कम ही लोग जानते हैं कि मुकेश गायक के तौर पर फिल्मों से जुड़े होने के अलावा एक्टर के तौर पर फिल्म में काम कर चुके थे। 1941 में उनकी फिल्म निर्दोष आ चुकी थी। हालांकि उन्होंने फिल्म में एक गीत दिल ही बुझा हुआ हो तो भी गाया था।

जब कुंदन लाल सहगल ने की मुकेश की तारीफ

1945 में उन्हें पहली नज़र फिल्म में प्लेबैक सिंगर के तौर पर पहला ब्रेक मिला। जो पहला गाना उन्होंने गाया, वह था दिल जलता है तो जलने दे। मुकेश अपने शुरुआती दिनों में के। एल। सहगल के इतने बड़े फैन थे कि वे उनकी नकल किया करते थे। कहा जाता है कि जब के। एल। सहगल ने पहली बार दिल जलता है तो जलने दे। सुना तो उनका कहना था कि मुझे याद नहीं पड़ता कि यह गाना मैंने कब गाया?

बहन की शादी ने बदल दी मुकेश की किस्मत

एक ऐसा वाकया हुआ, जिसने उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल दी। बहन की शादी में मुकेश ने एक गाना गाया। शादी में आए वीआईपी गेस्ट और उनके दूर के रिश्तेदार मोतीलाल को मुकेश की आवाज बहुत पसंद आई। उन्होंने मुकेश को ऑफर दिया, फिर क्या था मुकेश ने बिना सोचे हां कर दी और रवाना हो गए।  मुंबई में मोतीलाल जी ने मुकेश को संगीत गुरु पंडित जगन्नाथ प्रसाद को सौंप दिया। यहां से मुकेश माथुर सिंगर मुकेश बन गए।

मुकेश का गाया हर गाना हुआ हिट

मुकेश ने अपने करियर में डेढ़ हज़ार से भी कम गाने गाए। लेकिन ऐसा लगता है मानो हर गाना हिट था। नौशाद के साथ उनकी जुगलबंदी बेहद उम्दा थी। उस दौर में मुकेश की आवाज़ में सबसे ज़्यादा गीत दिलीप कुमार पर फ़िल्माए गये।

50 के दशक में इन्हें एक नयी पहचान मिली, जब इन्हें राजकपूर की आवाज़ कहा जाने लगा। कई साक्षात्कार में ख़ुद राज कपूर ने अपने दोस्त मुकेश के बारे में कहा है कि मैं तो बस शरीर हूं मेरी आत्मा तो मुकेश है। मुकेश साहब को मनोज कुमार की आवाज़ भी माना जाता रहा।

नौशाद की मदद से मुकेश ने अपना गायकी का अंदाज बना लिया। नौशाद ने उन्हें के एल सहगल का स्टाइल छोड़ने में भी मदद की। एक गायक के रूप में अपनी सफलता को देखते हुये, मुकेश ने कुछ फिल्मों में एक्टिंग भी की। लेकिन वे फिल्में बॉक्स ऑफिस पर कामयाब नहीं हो सकीं।

भागकर करनी पड़ी थी शादी

मुकेश की शादी सरला त्रिवेदी से हुई थी। सरला के पिता एक लखपति थे और मुकेश से अपनी बेटी की शादी के लिये राजी नहीं थे, क्योंकि न ही मुकेश के पास कमाई का कोई प्रॉपर जरिया था और न ही गायकी का पेशा उस वक्त सम्मानजनक माना जाता था। इसलिये मुकेश को सरला के साथ घर से भागकर शादी करनी पड़ी। दोनों की शादी मुकेश के अंकल मोतीलाल और दोस्त आर।डी। माथुर की मदद से हो सकी।

ऐसे हुई थी मुकेश की मौत

करीब तीस साल गा लेने के बाद मुकेश को 1974 में रजनीगंधा फिल्म के गाने कई बार यूं ही देखा है के लिये बेस्ट मेल प्लेबैक का नेशनल अवॉर्ड मिला। मुकेश को उनके जीवन में चार फिल्मफेयर और तीन बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट्स असोशिएशन के अवॉर्ड मिल चुके थे। एक कंसर्ट के लिये जाते हुये डेट्रायट, मिशिगन, अमेरिका में मुकेश की मौत हो गई।

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