ओम पुरी, जिन्होंने मुश्किलों को मज़िंल की शक्ल दे दी, जन्मदिन विशेष

ओम पुरी एक फौजी बनना चाहते थे। वहीं, फिल्मी दुनिया में ओम पुरी एक ऐसे शख्स थे, जो विवादों से हमेशा दूर रहे। लेकिन विवाद उनका पीछा नहीं छोड़ते थे। कभी अपनी निजी जिंदगी को लेकर तो कभी प्रोफेशनल लाइफ को लेकर वह उलझे रहे। इनका पूरा नाम ओम राजेश पुरी था। यही वर्सटाइल एक्टर आज यानी 18 अक्टूबर के दिन इस दुनिया में आए थे।

ओम पुरी के जन्मदिन की तारीख का किस्सा भी मजेदार है। जिस वक्त वो पैदा हुए तब बर्थ सर्टिफिकेट या रिकॉर्ड जैसे कुछ कागजात मेंटेन नहीं किए जाते थे। ऐसे में उनके परिवार को सही तारीख और समय पता नहीं था। हालांकि उनकी मां ने उन्हें बताया कि वह दशहरे के दो दिन बाद पैदा हुए थे। जब स्कूल की शुरुआत हुई तो उनके चाचा ने डेट ऑफ बर्थ 9 मार्च लिखवा दी। फिर जब ओम पुरी बड़े हुए और मुंबई आ गए तो उन्होंने अपने जन्म की सही तारीख के बारे में सोचा।

इस बात को दिमाग में लिए उन्होंने देखा कि साल 1950 में दशहरा किस दिन मनाया गया था। इस हिसाब से उन्होंने अपने जन्म की तारीख 18 अक्टूबर पाई। आप देख सकते हैं कि उनकी असल जिंदगी भी कम फिल्मी नहीं थी। साल 1972 में ‘घासीराम कोतवाल’ से अपने करियर की शुरुआत करने वाले ओम पुरी ने अपने करियर में एक से एक यादगार फिल्में दीं।

18 अक्टूबर 1950 को हरियाणा के अंबाला में ओमपुरी का जन्म हुआ था। ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने ननिहाल पंजाब के पटियाला से पूरी की। इनके पिता रेलवे और इंडियन आर्मी में कार्यरत थे। उन्होंने एफटीआईआई से ग्रेजुएशन किया। उसके बाद साल 1973 में उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से एक्टिंग के गुर सीखे। यहां अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने भी उन्हें अभिनय सिखाया।

एनएसडी के बाद फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से एक्टिंग का कोर्स करने के बाद ओमपुरी ने मुंबई का रुख किया और धीरे-धीरे फिल्मों में स्थापित हुए। कला फिल्मों से टेलीविजन, व्यवसायिक फिल्मों और हॉलीवुड की फिल्मों तक का सफर तय करके उन्होंने सफलता का स्वाद भी चखा। इन्होने ब्रिटिश तथा अमेरिकी सिनेमा में भी योगदान किया।

ओमपुरी ने बचपन में बहुत संघर्ष किया। पांच वर्ष की उम्र में ही वे रेल की पटरियों से कोयला बीनकर घर लाया करते थे। सात वर्ष की उम्र में वे चाय की दुकान पर गिलास धोने का काम करने लगे थे। वह सरकारी स्कूल से पढ़ाई कर कॉलेज पहुंचे। हालांकि इस दौरान भी वह छोटी-मोटी नौकरियां करते रहे।

कॉलेज में ही ‘यूथ फेस्टिवल’ में नाटक में हिस्सा लेने के दौरान उनका परिचय पंजाबी थिएटर के पिता हरपाल तिवाना से हुआ और यहीं से उनको वह रास्ता मिला जो आगे चलकर उन्हें मंजिल तक पहुंचाने वाला था। पंजाब से निकलकर वे दिल्ली आए, एन.एस.डी. में भर्ती हुए। लेकिन अपनी कमजोर अंग्रेजी के कारण वहां से निकलने की सोचने लगे।

इन्हीं दिनों में वे इब्राहिम अल्काजी से मिले और उन्होंने उनकी यह कुंठा दूर की। उन्होंने ओमपुरी को हिन्दी में ही बात करने की सलाह दी। धीरे-धीरे वे अंग्रेजी भी सीखते रहे। 1976 में पुणे फिल्म संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद ओमपुरी ने लगभग डेढ़ वर्ष तक एक स्टूडियो में अभिनय की शिक्षा दी। बाद में ओमपुरी ने अपने निजी थिएटर ग्रुप मजमा की स्थापना की।

उन्होंने अपने जीवन में 300 से भी ज्यादा फिल्मों में काम किया है। ओम पुरी ने अपने फिल्मी सफर की शुरुआत मराठी नाटक पर आधारित फिल्म ‘घासीराम कोतवाल’ से की थी। वर्ष 1980 में रिलीज फिल्म आक्रोश ओम पुरी के सिने करियर की पहली हिट फिल्म साबित हुई। ओम पुरी ने 1993 में नंदिता पुरी से शादी की थी, लेकिन 2016 में वे अलग हो गए थे। 6 जनवरी को ओम पुरी साहब का निधन हो गया था।

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