सुनील दत्त जो एक वक्त पर नरगिस के सामने बोल भी नहीं पाए थे

सुनील दत्त ने अपने अभिनय के जादू से जनता के दिलों में खुद के लिए एक अलग ही जगह बनाई और भारतीय सिनेमा को कई हिट फिल्मों का तोहफा दिया। सुनील दत्त को बचपन से ही हर मोड़ पर अपने हौसले की परीक्षा देनी पड़ी चाहे उनका करियर हो या नरगिस के लिए उनका प्याऱ।

दत्त साहब का जन्म पंजाब में हुआ था और उनका असली नाम बलराज़ दत्त था। विभाजन की वजह से उन्हें अपना जन्म स्थल छोड़कर हरियाणा आना पड़ा बाद में वह मुम्बई में बस गए। सुनील दत्त ने मुम्बई के जयहिंद कॉलेज में दाखिला लेकर अपनी शिक्षा पुरी की पर उस वक्त अपनें खर्चों के लिए उनके जेब में पैसे नहीं होते थे इसलिए वे बस कनडक्टर की नौकरी भी किया करते थे।

शिक्षा पुरी होनें के बाद सुनील दत्त ने रेडियों सीलोन में एक उद्धोषक के रुप में अपने कैरियर की शुरुआत की। रेडियों सीलोन उस वक्त दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा रेडियों स्टेशन था।

वहां उन्होनें खुब नाम कमाया पर कहा जाता है कि जीवन संगीनी के सामने तो अच्छों – अच्छों की बोलती बंद हो जाती है वही सुनील दत्त के साथ हुआ। एक दिन रेडियों सीलोन में नरगिस का इंटरव्यू रखा गया जिसकी जिम्मेदारी सुनील दत्त की थी पर भविष्य में होनें वाली जीवन संगीनी नरगिस के सामने सुनील दत्त एक शब्द ना बोल सके जिसकी वजह से इंटरव्यू रद्द करना पड़ा।

नरगिस से मुलाकात के बाद तो जैसे सुनील दत्त की तकदीर उनको नरगिस की तरफ खीचे ले गयी। वह रेडियों से नौकरी छोड़कर अभिनय की दुनिया में किस्मत आजमाने निकल गए और 1955 में उन्होनें “रेलवे स्टेशन “फिल्म से भारतीय सिनेमा में डेब्यू किया।

सुनील अभी स्ट्रगलिंग एक्टर थे और नरगिस एक कामयाब नायिका पर कहते है न प्यार ना उम्र देखता है ना कामयाबी, एक फिल्म प्रिमियर के दौरान सुनील दत्त ने दोबारा नरगिस को देखा पर इस बार वो नरगिस को दिल दे बैठे। उस वक्त नरगिस का अफेयर शादी शुदा राजकपूर के साथ चल रहा था पर दत्त साहब को कहा दुनिया की परवाह वह तो अपने प्यार पर अड़े रहे।

इधर सुनील दत्त नरगिस के ख्वाबों में वक्त गुजार रहे थे और किस्मत दोनों को मिलानें की साजिश रच रही थी। 1957 में महबूब खान ने मदर इंडिया के लिए नरगिस और दिलीप कुमार को चुना पर नरगिस दिलीप के साथ कई फिल्मों में प्रेमिका को रोल निभा चुकी थी तो उनकी मां का रोल ना करनें के लिए अड़ गई। महबूब खान नें फिर स्ट्रगल कर रहे सुनील दत्त को चुना

फिल्म मदर इंडिया सुनील दत्त के कैरियर और प्यार दोनों के लिए खरा सोना साबित हुई। फिल्म के सेट पर नरगिस और सुनील दत्त ज्यादा वक्त साथ बीताते थे आखिर फिल्म में सुनील दत्त नरगिस के लाडले बेटे का जो रोल निभा रहे थे। उस बीच दोनों की अच्छी दोस्ती हो गई।

नरगिस अपनी अधिकतर बातें सुनील दत्त को बताती और दत्त साहब अगर जवाब नही देते तो नरगिस उनसे नाराज़ हो जाती, पर जब प्यार सच्चा हो तो पुरी कायनात उसे मिलानें में लग जाती है तो नरगिस सिर्फ दोस्त बनकर कैसे रह सकती थी। 40 फिल्मों में से 20 फिल्मों में डाकु का किरदार निभानें वाले दत्त साहब आखिर कब तक विलेन बने रहते।

जिंदगी नें आखिरकार उन्हें अपने हिरोईन के सामने हीरो बननें का मौका दे ही दिया, इधर नरगिस और राज कपूर का ब्रेकप हो रहा था, नरगिस इमोशनली कमज़ोर हो चुकी थी उन्हें सहारे की जरुर थी तभी एक दिन मदर इंडिया के सेट पर आग लग गई जिसमें नरगिस फंस गई उस वक्त दत्त साहब खुद के जान की परवाह किए बिना नरगिस को बचानें पहुंच गए, खुद थोड़ा बहुत जल भी गए पर नरगिस को सही सलामत बाहर ले आए। इसके बाद नरगिस के दिल में भी सुनील दत्त के लिए प्यार फुटने लगा धीरे -धीरे दोनों का प्यार परवान चड़ता गया।

सुनील दत्त नरगिस को प्यार से पिया कह कर पुकारते थे, पर काम की वजह से अगर दोनों दूर भी रहते तो वे एक दूसरे को खत लिखकर बात किया करते थे। खत में दोनों एक दुसरे को मर्लिन मुनरो और एल्विस प्रिंसले लिखा करते थे।

दोनों के प्यार को नरगिस की मां ने शादी का रुप दे दिया। मदर इंडिया सेट पर हुई घटना के बाद नरगिस की मां ने सुनील दत्त को अपने जमाई के रुप में चुन लिया था, बस सही वक्त देखर वह सुनील दत्त के हाथ में नरगिस की हाथ दे उन्हें नरगिस दत्त बना दी। सुनील दत्त, नरगिस दत्त के साथ जिंदगी के हर मोड़ पर खड़े रहे और उम्र के हर पड़ाव में प्यार से उनको संभालते रहे।

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