ठाकरे फिल्म रिव्यू | बाला साहब ठाकरे में किरदार में जम गए नवाजुद्दीन
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ठाकरे फिल्म रिव्यू |नवाजुद्दीन सिद्दीकी मेहनती कलाकार हैं। निजी जिंदगी में उन्होंने बहुत संघर्ष देखे हैं। मुंबई के फुटपाथों पर जीवन बिताया है और, मुंबई की सांसों को करीब से समझा है। कम ही होता है कि किसी कलाकार का संघर्ष उसके करियर में किसी किरदार को सांसे देने के काम आए, लेकिन शिव सेना के संस्थापक बाल ठाकरे के जीवन पर बनी फिल्म ठाकरे में नवाजुद्दीन सिद्दीकी के लिए उनके ये अनुभव बहुत काम आए हैं।
फिल्म देखकर निकलने के बाद लगता ही नहीं कि किसी उत्तर भारतीय मुसलमान ने एक ऐसे किरदार को परदे पर जिया, जिसके नाम से मुंबई के मुसलमान कांपते रहे हैं और जिसकी पार्टी हमेशा से महाराष्ट्र में पर प्रांतीय लोगों का विरोध करती रही।
ठाकरे को महाराष्ट्र भर का नेता बना देने के पीछे भी एक पूरी रणनीति काम करती रही, ये भी फिल्म की अंतर्धारा से पता चलता है। ठाकरे का सबसे मशहूर नारा, जो हिंदू हित की बात करेगा, वही देश पर राज करेगा, दूसरी पार्टियों ने हाइजैक किया। फिल्म उन भ्रांतियो को भी तोड़ती है कि ठाकरे कभी महाराष्ट्र से बाहर नहीं गए।
हिदी सिनेमा के दर्शक इस फिल्म में नवाजुद्दीन, अमृता राव और महेश मांजरेकर के अलावा दूसरे किसी कलाकार को शायद ही पहचान पाएं लेकिन अभिजीत पनसे के निर्देशन में बनी इस चुस्त फिल्म में मराठी सिनेमा के तमाम कलाकारों ने दमदार काम किया है।
नवाजुद्दीन सिद्दीकी के किरदार को मजबूत ये साथी कलाकार ही देते हैं। और, नवाजुद्दीन ने ठाकरे के किरदार की आत्मा जिसस तरह पकड़ी है, वह बिरले ही कर पाते हैं। अमृता राव के अभिनय में सौम्यता भी है और मजबूती भी। वह ठाकरे की प्रेरणा हैं। फिल्म का चूंकि पूरा का पूरा परिवेश महाराष्ट्र का है लिहाजा इसके गीत और संगीत भी उसी अनुसार है। फिल्म के हिंदी संस्करण में ये भले थोड़ा अटकते हों पर फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक इस कमी को भी ढक लेता है।
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