टुनटुन | जिसकी आवाज़ के दीवाने थे संगीतकार नौशाद

टुनटुन 1960 के दशक की फिल्मों में अपनी एक्टिंग से लोगों को ठहाका मारकर हंसने पर मजबूर कर देती थीं। दशकों तक सभी को हंसाने वाली टुनटुन की आज बर्थ एनिवर्सरी है।

टुनटुन ने लगभग 200 फिल्मों में काम किया था। बाज, आर-पार, मिस कोका कोला, उड़न खटोला, मिस्टर एंड मिसेज 55, कभी अंधेरा कभी उजाला, मुजरिम, जाली नोट, और एक फुल चार कांटे जैसी फिल्में शामिल हैं।

उनका जन्म 11 जुलाई, 1923 को उत्तर प्रदेश में हुआ था। टुनटुन का असली नाम उमा देवी था। उन्हें भले ही एक्टिंग में महारत हासिल थी लेकिन वह सिंगर बनना चाहती थीं।

टुनटुन जब तीन साल की थीं तभी उनके माता-पिता का देहांत हो गया था। ऐसे में उनका पालन पोषण उनके चाचा ने किया था। टुनटुन 13 साल की उम्र से गाना गाने लगी थीं।

13 साल की टुनटुन घर से भागकर मुंबई आ गईं। इस दौरान उन्होंने घरों में बर्तन धोने, झाड़ू लगाने का काम किया।

इस बीच गायक बनने का सपने लिए उन्होंने संगीत निर्देशक नौशाद अली से मुलाकात की। उन्होंने नौशाद अली से कहा था कि मैं गा सकती हूं और अगर आपने मुझे काम नहीं दिया तो मैं सागर में डूब कर जान दे दूंगी। नौशाद ने यह सुनकर उन्हें उसी समय काम दे दिया था।

नौशाद ने टुनटुन से दर्द फिल्म के लिए ‘अफसाना लिख रही हूं गाना गंवाया’ गाना गवाया। यह गाना काफी लोकप्रिय हुआ।

दिलचस्प बात यह है कि फिल्म की हीरोइन सुरैया चाहती थी कि यह गाना उन पर फिल्माया जाए जबकि सुरैया खुद भी बेहतरीन गायिका थी। इसके बाद भी टुनटुन ने कई फिल्मों में गाना गाया।

नौशाद ने टुनटुन को फिल्म में काम करने की नसीहत दी। टुनटुन ने पहली बार दिलीप कुमार के साथ काम किया।

इस फिल्म के बाद उन्हें टुनटुन नाम से पुकारा जाने लगा। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा और लगातार लोगों को हंसाने का काम किया। उन्होंने 24 नवंबर, 2003 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया था।

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