रफ़ी साहब, जिनकी आवाज़ की गुलाम सदियां थीं और रहेंगी

रफी साहब को बॉक्सिंग के मुक़ाबले देखने का बहुत शौक था और मोहम्मद अली उनके पसंदीदा बॉक्सर थे। 1977 में जब वह एक शो के सिलसिले में शिकागो गए तो आयोजकों को रफी साहब के इस शौक के बारे में पता चला।

उन्होंने रफ़ी और अली की एक मुलाक़ात कराने की कोशिश की लेकिन यह इतना आसान काम भी नहीं था। लेकिन जब अली को बताया गया कि रफ़ी भी गायक के रूप में उतने ही मशहूर हैं जितना कि वह एक बॉक्सर के रूप में हैं, तो अली उनसे मिलने के लिए तैयार हो गए। दोनों की मुलाक़ात हुई और रफ़ी ने बॉक्सिंग पोज़ में मोहम्मद अली के साथ तस्वीर खिंचवाई।

बॉलीवुड की पार्टियों में भी जाने का उन्हें कोई शौक नहीं था। घर पर वह सिर्फ़ धोती-कुर्ता ही पहनते थे लेकिन जब रिकॉर्डिंग पर जाते थे तो हमेशा सफ़ेद कमीज़ और पतलून पहना करते थे। उनको स्टाइलिश घड़ियों और फ़ैंसी कारों का बहुत शौक था। लंदन की कारों के रंगों से वो बहुत प्रभावित रहते थे इसलिए एक बार उन्होंने अपनी फ़िएट कार को तोते के रंग में हरा रंगवा दिया था।

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