उरी फिल्म रिव्यू | फिल्म ठीक ठाक है लेकिन मसाला वही है पुराना वाला
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उरी : सर्जिकल स्ट्राइक सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। सिनेमा में देशभक्ति के सब्जेक्ट पर फिल्म बनाकर दर्शकों के दिलों में जगह बनाने का फॉर्मूला नया नहीं है। सर्जिकल स्ट्राइक की सच्ची घटना पर बनी इस फिल्म में विक्की कौशल ने आर्मी ऑफिसर की भूमिका निभाई है। फिल्म पाकिस्तान के दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए की गई सफल स्ट्राइक की दास्तां है।
18 सितम्बर 2016 को उरी हमले में भारतीय सेना के 19 जवान शहीद हुए थे जिसके जवाब में भारतीय सेना ने पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक की थी। फिल्म उसी रात की कहानी को पर्दे पर दिखाती है। इस फिल्म में परेश रावल, कीर्ति कुल्हारी और मोहित रैना का भी अहम रोल है। इसमें परेश रावल देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के रोल में नजर आए।
फिल्म के डायलॉग जोशीले हैं। देश भक्ति से भरे डायलॉग्स आज की युवा पीड़ी को जोश में भर देंगे। हिंदुस्तान के आज तक के इतिहास में हमने किसी मुल्क पर पहला वार नहीं किया है। 1947, 1956, 1971, 1999-यही मौका है उनके दिल में डर बिठाने का। इस डायलॉग के साथ शुरू होती है पाकिस्तान के खिलाफ एक जंग।
कहानी शुरू होती है एक मिशन से। मेजर विहान शेरगिल यानी विक्की कौशल और कैप्टन करण कश्यप यानी मोहित रैना मणिपुर में कैंप पर आंतकियों के हमले का जवाब देते हैं। विहान शेरगिल ऐसे जवान हैं जो युद्धनीति में पारंगत हैं।
विहान की मां को (स्वरूप संपत) को अल्जाइमर्स है इसलिए वह बॉर्डर से दिल्ली में सूचना केंद्र में पोस्टिंग लेता है। तभी उरी में एक आतंकी हमला होता है, जिसमें 19 जवान शहीद हो जाते हैं। यह हमला सत्ता को हिला देता है। सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल बने परेश रावल प्रधानमंत्री से बात करते हैं और पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देने की बात कहते हैं। पीएम की ओर से मंजूरी मिलती है और शुरू होती है खात्मे की जंग।
फिल्म में तीन गाने हैं और तीनों ही परिस्थितियों पर आधारित हैं। संगीत शशावत सचदेव ने दिया है। गाने फिल्म में जान फूंकने का काम करते हैं। ‘छल्ला’ देश भक्ति का रंग दिखाता है तो ‘बह चला’ गाना आंखें नम कर देता है। वहीं तीसरा गाना ‘जिगरा’ मोटिवेशनल सॉन्ग है।
मूवी का सेकंड हाफ सर्जिकल स्ट्राइक की प्लानिंग और एक्शन पर फोकस करता है। उरी की कहानी और क्लाइमेक्स के बारे में दर्शक पूरी तरह वाकिफ है, बावजूद इसके सेना कैसे इस ऑपरेशन को अंजाम देती है, इसे पर्दे पर देखना दिलचस्प है। इसके लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी। भारत और पाकिस्तान के सीन में अंतर साफ तौर पर नजर आता है।
इस्लामाबाद का सीन दिखाने के लिए पाकिस्तान का झंडा रखा जाता है। सेकंड पार्ट के मुकाबले फिल्म का फर्स्ट हाफ ज्यादा स्ट्रॉन्ग है। ऐसा लगता है मानो इंटरवल के बाद मेकर्स अति उत्साह में कहानी का सार भूल गए हो। इससे नकारा नहीं जा सकता कि मूवी में राजनीतिक प्रचार साफ नजर आता है। 2019 के मद्देनजर मूवी का रिलीज होना राजनीतिक एजेंडे को दर्शाता है।
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